उत्तर प्रदेश के सरकारी विभाग ही बिजली विभाग के सबसे बड़े बकायेदारों में शामिल हैं, तकरीबन करोड़ों रुपये का बिजली बिल उत्तर प्रदेश की पूर्व समाजवादी सरकार के समय से बकाया है। इसी बीच योगी सरकार के लिए एक समस्या खड़ी हो गयी है, गौरतलब है कि, उत्तर प्रदेश मौजूदा समय में भीषण बिजली संकट से जूझ रहा है। प्रदेश की कई बिजली इकाइयां ठप(Power house units stalled) हो गयी है।

बिजली विभाग की उपलब्धता घटकर पहुंची 15 हजार मेगावॉट(Power house units stalled):

  • सूबे की योगी सरकार ने चुनाव के दौरान बिजली की समस्या को मुख्य मुद्दों में शामिल किया था।
  • लेकिन योगी सरकार में ही बिजली विभाग मौजूदा समय के शायद सबसे बड़े बिजली संकट से जूझ रहा है।
  • प्रदेश की जनता की बिजली की मांग तकरीबन 20 हजार मेगावॉट है।
  • जबकि प्रदेश में बिजली की उपलब्धता घटकर 15 हजार मेगावॉट पहुँच चुकी है।
  • इसके साथ ही प्रदेश की कई बिजलीघर इकाइयां भी ठप हो गयी हैं।
  • जिनमें अनपरा,
  • लैंकों,
  • ललितपुर और
  • बारा बिजलीघर इकाइयां ठप हो गयी हैं।

मांग और आपूर्ति में आया 5 हजार मेगावॉट का अंतर(Power house units stalled):

  • अनपरा, लैंकों, ललितपुर और बारा बिजलीघर इकाइयां ठप हो गयी हैं।
  • जिसके तहत प्रदेश की मांग और आपूर्ति में 5 हजार मेगावॉट का अंतर आया है।
  • अनपरा में 210 और 500 मेगावॉट की दो इकाइयां,
  • लैंकों में 600 मेगावॉट की इकाई,
  • बारा में 660 मेगावॉट की दो इकाइयां बंद हो गयी हैं।
  • इसके साथ ही ललितपुर की 1800 मेगावॉट की इकाई ठप हो गयी है।
  • साथ ही ओबरा में भी दो इकाइयां ठप हो गयी हैं।

निजी कंपनियों की महँगी बिजली से बढ़ी समस्या(Power house units stalled):

  • उत्तर प्रदेश मौजूदा समय में भीषण बिजली संकट से जूझ रहा है।
  • बिजली संकट के लिए कहीं न कहीं निजी कंपनियों की महँगी बिजली भी जिम्मेदार है।
  • वहीँ सूबे के कई जिलों के प्रमुख शहरों में बिजली का संकट बढ़ गया है।
  • जिनमें आगरा, मेरठ, झांसी समेत कई शहर शामिल है।
  • यहाँ तक कि, राजधानी लखनऊ का हाल भी बहुत बुरा है।
  • गाँव में 18 घंटे बिजली देने की बात करने वाली योगी सरकार में गांवो में भी बुरा हाल है।

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