केंद्र व प्रदेश सरकार कुपोषण को दूर (anganwadi vibhag) करने के लिये आंगनवाड़ी केंद्रो के माध्यम से गर्भवती महिलाओं व बच्चों को कई योजनायें चला रही है। जिसमें हाट कुक्ड, पुष्टाहार सहित तमाम योजनायें हैं। इन योजनाओं को विभाग कागज में दर्ज बच्चों की संख्या के आधार पर अब तक लेता आ रहा है। लेकिन जब से केन्द्र सरकार ने आधार से आंगनवाड़ी केन्द्रों को लिंक करने की योजना आरंभ की।

  • तब से विभाग की पोल (anganwadi vibhag) खुलती नजर आ रही है।
  • एक साल पूर्व शुरू हुई यह योजना जिसमें मात्र 85 हजार बच्चों का आधार लिंक हो पाया।
  • वहीं अब भी 3 लाख 79 हजार बच्चों का आधार लिंक नहीं हो पाया है।
  • जो विभाग में चल रहे फर्जीवाड़े की तरफ इशारा कर रहा है।

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करोड़ों रुपये योजनाओं में बहा रही भारत सरकार

  • भारत सरकार कुपोषण को दूर करने के लिये करोड़ों रूपया योजनाओं में बहा रही है।
  • लेकिन नतीजा वही ढाक के तीन पात हैं।
  • इतना ही नहीं अभी पिछले साल आंगनवाड़ी केन्द्रों को जिलाधिकारी सहित तमाम आला अधिकारियों ने गोद लिया और अपने उस गाँव को कुपोषणमुक्त करने संकल्प लिया।

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कुपोषण तो दूर नहीं हुआ लेकिन स्वस्थ्य हो गए अधिकारी

  • इस योजना में बच्चों का कुपोषण तो दूर नहीं हुआ पर विभागीय अधिकारी जरूर इस योजना से स्वस्थ हो गये।
  • क्योंकि इन आंगनवाड़ी केन्द्रों पर जो बच्चों की संख्या दिखायी जाती थी वह संख्या कागजी बच्चों की थी। जिनकी संख्या के आधार पर योजनाओं की पैसा का बंदरबांट चल रहा था।
  • ग्रामीण इलाकों में जिन बच्चों का नामांकन प्राइमरी स्कूलों में होता है।
  • उन्हीं बच्चों का नामांकन (anganwadi vibhag) आंगनवाड़ी में भी होता है।
  • कारण कि आंगनवाड़ी केन्द्र और प्राइमरी स्कूल एक ही भवन में चलते हैं।

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ये हैं आधार लिंकिंग के आंकड़े

  • इन्हीं सब गड़बड़ियों को देखते हुये केन्द्र सरकार ने एक साल पूर्व ही आंगनवाड़ी केन्द्रों को आधार से लिंक कराने का निर्देश दिया था।
  • प्रभारी जिला कार्यक्रम अधिकारी आर.एन.मौर्या ने बताया कि इस कार्यक्रम के तहत जनपद के का नामांकन कुल 17 आंगनवाणी परियोजनाओं जिसमें 3579 आंगनवाड़ी और 539 मिनी आंगनवाड़ी केन्द्र में 3 से 6 माह के 2 लाख 53 हजार 860 बच्चे और 7 माह से 3 साल तक के कुल 2 लाख 48 हजार 674 बच्चे पंजीकृत हैं।
  • इसी तरह गर्भवती और (anganwadi vibhag) धात्री महिलायें 96 हजार 421 पंजीकृत हैं।
  • लेकिन यदि विभागीय आंकड़ों की मानें तो अबतक मात्र 85 हजार बच्चों को ही आधार से लिंक किया जा सका है।
  • जबकि 3 लाख 79 हजार 214 बच्चों को अक्टूबर माह तक आधार से लिंक किया जाना है।

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कागजों की आंकड़ेबाजी करने में आंगनवाड़ी

  • कागजों की आंकड़ेबाजी करने वाला आंगनवाड़ी विभाग जो कई सालों से फर्जी बच्चों की संख्या दर्शाकर फर्जीवाड़ा करता आया है।
  • वह अब इस आधार लिंक के निर्देश में इस तरह उलझ गया है कि अवैध को वैध कैसे करे उसके समझ से परे हो गया है।
  • एक साल में जो विभाग मात्र 85 हजार बच्चों का आधार लिंक करवा पाया हो वह शेष एक माह में कैसे 4 लाख बच्चों का आधार विभाग में लिंक करा पायेगा।
  • जबकि विभागीय अधिकारी को खुद ही नहीं पता कि यह कब तक लिंक कराने की योजना है और जनपद में कितने आंगनवाड़ी केन्द्र चल रहे हैं।
  • ऐसे में यह साफ हो जाता है कि आधार (anganwadi vibhag) ने विभाग की चल रही फर्जीवाड़े को खोल कर रख दिया है।

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