मनकामेश्वर मठ मंदिर व देव्या चैरिटेबल ट्रस्ट डालीगंज की ओर से बुधवार को दोपहर “रावण दहन-आज की प्रासंगिकता” विषयक संगोष्ठी (Open discussion) का आयोजन किया गया है। इसमें समाज के विभिन्न बुद्धिजीवियों को अपने विचार रखने के लिए आमंत्रित किया गया है। यह संगोष्ठी मनकामेश्वर मठ मंदिर की महंत देव्या गिरि महाराज की अगुवाई में होगी।

शास्त्रों के ज्ञाता शिवभक्त रावण के पुतला दहन की प्रासंगिकता

  • महंत देव्यागिरि ने बताया कि रावण में अनेक गुण भी थे।
  • सारस्वत ब्राह्मण पुलस्त्य ऋषि का पौत्र और विश्रवा का पुत्र रावण एक परम शिव भक्त, उद्भट राजनीतिज्ञ, महापराक्रमी योद्धा, अत्यन्त बलशाली, शास्त्रों का प्रखर ज्ञाता विद्वान पंडित था।
  • रावण के शासन काल में लंका का वैभव अपने चरम पर था इसलिये उसकी लंकानगरी को सोने की लंका कहा गया है।
  • ऐसे में क्या एक महाज्ञानी का पुतला हर साल फूंका जाना चाहिए?
  • इस पर खुली बहस का आयोजन आज डालीगंज स्थित मनकामेश्वर मठ मंदिर परिसर में दोपहर किया गया है।
  • इसमें समाज के वरिष्ठ विद्वानों को आमंत्रित किया गया है।
  • इसमें चर्चा हुई कि क्यों न बुराई के प्रतीक के रूप में पुतला दहन किया जाए न कि रावण के प्रतीक के रूप में।

Raavan Dahan aaj ki prasangikta

देश में कई जगह पूजा जाता है रावण

  • आचार्य पं. श्यामलेश तिवारी के अनुसार देश में कई जगह रावण का पूजन किया जाता है।
  • मध्यप्रदेश के मंदसौर में रावण की पूजा इसलिए की जाती है क्यों वह रावण की पत्नी मंदोदरी का मायका था।
  • कहा जाता है कि मंदसौर का असली नाम दशपुर था।
  • मंदोदरी के नाम पर बाद में उसे मंदसौर कहा जाने लगा।
  • ऐसे में रावण को दामाद मानते हुए वहां रावण का पुतला दहन नहीं किया जाता है।
  • मंदसौर के रूंडी में रावण की मूर्ति बनी हुई है, जिसकी बाकायदा पूजा की जाती है।
  • मध्य प्रदेश के ही उज्जैन के चिखली गांव ऐसी मान्यता है कि अगर रावण की पूजा नहीं की गई तो गांव जल कर राख हो जाएगा।
  • इसलिए वहां रावण दहन नहीं किया जाता और रावण की मूर्ति की पूजा की जाती है।
  • महाराष्ट्र में अमरावती के गढ़चिरौली नामक स्थान पर आदिवासी समुदाय फाल्गुन पर्व में रावण का पूजन करते है।
  • दरअसल रावण वहां का देवता हैं।
  • यूपी के बिसरख गांव में रावण का मंदिर है।
  • ऐसी मान्यता है कि (Open discussion) बिसरख गांव, रावण का ननिहल था।
  • बिसरख का नाम पहले विश्वेशरा था जो रावण के पिता थे।
  • हिमाचल प्रदेश में स्थित कांगड़ा जिले का कस्बा बैजनाथ में भी रावण का पूजन किया जाता है।
  • ऐसी मान्यता है कि रावण ने यहां पर भगवान शिव की तपस्या की थी।
  • आंध्रप्रदेश के काकिनाड में भी रावण का मंदिर है वहां मछुआरा समुदाय रावण का पूजन अर्चन करता है।
  • राजस्थन के जोधपुर में भी रावण का मंदिर है।
  • वहां के निवासी खुद को रावण का वंशज बताते हैं।
  • कर्नाटक के मंडया जिले के मालवल्ली तालुका में भी रावण का मंदिर है।
  • कर्नाटक के कोलार में भी लोग शिवभक्त के रूप में रावण की पूजा करते हैं।
  • स्थानीय चौपटिया के चारधाम मंदिर के रावण दरबार में भी हर साल दहशरे पर रावण का पूजन किया जाता है।

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लखनऊ में ही होता पूजन

  • दशहरे के दिन रानीकटरा के 125 साल पुराने चारधाम मंदिर में लंकापति रावण के भव्य दरबार में रामलीला में रावण का किरदार निभाने वाले विष्णु त्रिपाठी जलाभिषेक कर विधि विधान से पूजन करते हैं।

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रावण तो था महागुणी

  • रावण जनम से ब्राह्मण पिता का पुत्र था।
  • देवी सती के श्राप के बाद से ही उसकी गिनती राक्षसों में होने लगी।
  • उन्होंने शिव तांडव स्रोत की रचना थी।
  • वह कुशल वीणा वादक था।
  • ज्योतिषाचार्यों में आज भी रावण संहिता भी खासी लोकप्रिय है।
  • कहा जाता है कि उसने रावण हत्था वीणा का भी सृजन किया था।
  • आज भी रावण के फार्मूले से तैयार आंख की दवा नाका बाजार में बिकती है वहीं रावण के बताए तरीके से पूजन हवन सामग्री भी (Open discussion) तैयार की जाती है।
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