एक तरफ योगी सरकार वीआईपी कल्चर खत्म करने की बात करती है, वहीं दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश के मौजूदा सांसदों और विधायकों के प्रति शिष्टाचार, उनका स्वागत, उनके जलपान और उनकी खातिरदारी के लिए शासन के अधिकारियों को फरमान भी जारी किए जाते हैं. इस फरमान में जिस प्रकार के विवरण दिए गए हैं वह VIP कल्चर को और बढ़ाने का कहीं ना कहीं काम करते दिखाई दे रहे हैं जबकि योगी सरकार यह कहती रही है कि केंद्र की तर्ज पर यूपी में वीआईपी कल्चर खत्म होगा. यानी VIP कल्चर केवल गाड़ियों पर लगने वाली लाल पीली नीली बत्तियों तक ही सीमित है. जमीनी स्तर पर इनमें कोई परिवर्तन फिलहाल तो नहीं दिखाई दे रहा है.
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अधिकारी नहीं होंगे मुख्य अतिथि:

  • शासनादेश में यह कहा गया है कि अगर कोई अधिकारी जनप्रतिनिधि सांसद विधायक का कॉल अटेंड नहीं कर पाते हैं तो वह तुरंत कॉल बैक करें.
  • जनप्रतिनिधि के जनहित के कार्यों के संबंध में जो भी विचार है उनसे अवगत कराएं.
  • विचारों से संतुष्ट ना होने पर पर्याप्त कारण बताएं.
  • यह कहा जा रहा है कि राज्य विधानमंडल के सदस्य के प्रति खड़े होकर सम्मान दिखाएं.
  • इस क्रम में सबसे बड़ा फरमान यह आया है कि अधिकारी अब किसी कार्यक्रम में मुख्य अतिथि नहीं बन सकेंगे.

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अधिकारियों के अशिष्ट व्यवहार पर होगी कार्रवाई:

  • यानी शिलान्यास समारोह, किसी भी प्रकार का धन राशि वितरण समारोह, सहायता शिविर में सामग्री का वितरण उद्घाटन आदि समारोहों में अधिकारीगण मुख्य अतिथि की हैसियत से भाग नहीं लेंगे.
  • इन सब बातों का निर्देश मुख्य सचिव राजीव कुमार की तरफ से जारी किया गया है.
  • यह कहा गया है कि अधिकारी इसको गंभीरता से लें क्योंकि पूर्व में कई ऐसे मामले आए हैं जिनमें जनप्रतिनिधियों का उचित सम्मान नहीं किया गया है.
  • साथ ही यह भी कहा गया है कि किसी प्रकार का शिष्टाचार का उल्लंघन का दोषी अगर कोई अधिकारी पाया जाता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाएगी.
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