चार महीने क्षीर सागर में सोने के बाद भगवान विष्णु 31 अक्टूबर को जागे। देवोत्थानी महापर्व पर मंगलवार को डालीगंज स्थित मनकामेश्वर उपवन घाट पर खासतौर से गन्ने का भव्य मंडप तैयार किया गया। इस आकर्षक मंडप में तुलसी विवाह के पावन अवसर पर डालीगंज स्थित मनकामेश्वर मठ मंदिर की महंत देव्यागिरि ने तुलसी के बीज बांटकर लोगों को बेटी बचाओ का संकल्प करवाया। (Devutthana Ekadashi)

Devutthana Ekadashi 2017 in lucknow

  • उन्होंने कहा कि यदि ऐसे ही समाज में बेटियों की संख्या घटती रही तो वह दिन दूर नहीं जब विवाह के लिए लड़कियां ही नहीं मिलेंगी।
  • ऐसे में समाज का पतन हो जाएगा।
  • उन्होंने कहा कि देवोत्थानी एकादशी और तुलसी विवाह लोगों को संदेश देते हैं कि हर व्यक्ति अपने में सोये हुए देवत्व को जगाए और विवाह व्यवस्था को कायम रखने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करे।

Devutthana Ekadashi 2017 in lucknow

गन्नों से सजा मंडप

  • देवोत्थानी पर ही किसान गन्ने की फसल कांटते हैं।
  • चूंकि गन्ना एकादशी पर काटा जाता है इसलिए उसे सबसे पहले भगवान विष्णु को अर्पित किया जाता है।
  • ऐसी भी मान्यता है कि एकादशी के बाद ही गन्ना खाना चाहिए।
  • गन्ने से सूप और बर्तन बजाकर भगवान विष्णु को जगाने की भी परंपरा है।
  • इसलिए गन्ने का इस पर्व पर खास महत्व है।
  • इसे देखते हुए देवोत्थानी एकादशी पर खासतौर से सैकड़ों गन्नों से आकर्षक मंडप तैयार करवाया गया। (Devutthana Ekadashi)
  • उस भव्य मंडप में प्रथम देव गणेश की अराधना के बाद भगवान विष्णु की पूजा की गई।
  • आदि गंगा मां गोमती के जल से अभिषेक करने के बाद देश और देशवासियों के कल्याण के लिए सामूहिक प्रार्थना की गई।
  • पूजन के बाद गन्ने से तैयार आकर्षक मंडप भक्तों के बीच सेल्फी प्वाइंट भी बना।

Devutthana Ekadashi 2017 in lucknow

तुलसी बीज बांटकर कराया संकल्प

  • देवोत्थानी एकादशी पर तुलसी विवाह का अनुष्ठान भी सम्पन्न कराया जाता है।
  • ऐसी मान्यता है कि जो इस अनुष्ठान को करता है उसे न केवल कन्यादान का पुण्य मिलता है बल्कि उसकी सारी विध्न बाधाएं दूर होती हैं। (Devutthana Ekadashi)
  • उसके सारे कष्ट दूर होते हैँ और जीवन सुखमयी होता है।
  • शास्त्रों के अनुसार राक्षस जालंधर के वध के लिए भगवान विष्णु ने पतिव्रता वृंदा से छल किया था।
  • यह बात जब वृंदा को मालूम पड़ी तो उसने भगवान विष्णु को पत्थर बनने का श्राप दे दिया।
  • इस पर भगवान विष्णु ने वृंदा के सम्मान में घोषणा की कि उनका एक स्वरूप शालिग्राम के रूप में में रहेगा।

Devutthana Ekadashi 2017 in lucknow

  • तुलसी के रूप में वृंदा हमेशा पूज्यनीय रहेंगी।
  • जो मनुष्य तुलसी और शालिग्राम का विवाह करवाएगा उसका कल्याण होगा।
  • इस परंपरा को और भी वृहद स्तर पर ले जाते हुए महंत देव्यागिरि ने तुलसी के सैकड़ों बीज कन्याओं के हाथों बंटवाकर संकल्प करवाया कि लोग न केवल कन्याओं को बचाएंगे बल्कि उनके सर्वांगीण विकास के लिए भी कार्य भी करें।
  • भक्तों ने भी बड़ी संख्या में इस अनुष्ठान में शामिल होकर संकल्प लिया कि वह तुलसी के बीजों को घरों में बोएंगे।

Devutthana Ekadashi 2017 in lucknow

  • बीजों से तुलसी के पौधे निकल आने पर पौधे में रोज पानी डालते हुए वह बेटी बचाओ के संकल्प को याद करेंगे। (Devutthana Ekadashi)
  • इस आयोजन में प्राथमिक विद्यालय बरौलिया प्रथम स्कूल के प्रधानाचार्य शमशाद अहमद, शिक्षिका लक्ष्मी रस्तोगी, उमा तिवारी, उपमा पांडेय,जगदीश, संजय सोनकर, अमित, गायत्री, विधि, श्यामू जादौन, ममता, पूनम, पूजा, तुलसी, रेखा, रेनु, खुशबू, पूजा पाल, ऋतु समेत स्कूल के बच्चे शामिल हुए।

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