आईपीएस अफसर अमिताभ ठाकुर तथा उनकी पत्नी एक्टिविस्ट डॉ. नूतन ठाकुर पर गाजियाबाद की एक महिला द्वारा फर्जी रेप का आरोप लगा कर फंसाने के मामले में सीजेएम लखनऊ संध्या श्रीवास्तव ने एसपी क्राइम ब्रांच दिनेश सिंह से विवेचना में विलंब पर स्पष्टीकरण माँगा है. साथ ही विवेचक दीपन यादव को 12 जनवरी 2018 को प्रगति आख्या देने के आदेश दिए हैं.  

 22 जून 2015 को दर्ज किया था मामला:

  • यह मुक़दमा 22 जून 2015 को दर्ज किया था जिसमे उन्होंने तत्कालीन खनन मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति द्वारा महिला आयोग के सदस्यों की सहायता से नूतन और अमिताभ को फर्जी फंसाने के प्रयास का आरोप लगाया गया था.
  • पुलिस ने 13 जुलाई 2015 को केस में अंतिम रिपोर्ट लगा दी थी जिसे सीजेएम ने अपने आदेश 22 दिसंबर 2015 द्वारा ख़ारिज करते हुए पुनार्विवेचना के आदेश दिए थे.
  • अप्रैल 2017 में प्रजापति को गिरफ्तार कर उनके खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया गया.
  • लेकिन पूर्व महिला आयोग अध्यक्ष ज़रीना उस्मानी तथा सदस्य अशोक पाण्डेय सहित शेष सभी अभियुक्त अभी तक खुलेआम घूम रहे हैं.
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