हिंदी के वरिष्ठ कवि नीलाभ अश्क का आज सुबह 72 वर्ष की उम्र में दिल का दौरा पडऩे से निधन हो गया। उपेंद्र नाथ अश्क के पुत्र और कवि, पत्रकार व बेहतरीन अनुवादक नीलाभ अश्क ने दिल्ली के बुराड़ी में स्थित घर पर अंतिम सांस ली।  उन्होंने शेक्सपियर, ब्रेख्त और लोर्का के नाटकों का हिंदी में बेहतरीन अनुवाद किया था।

कवि, अनुवादक नीलाभ का जन्म 16 अगस्त 1945 को मुंबई में हुआ था। वे मूलत: इलाहाबाद के रहने वाले थे लेकिन बाद में वह दिल्ली में आकर बस गए। उन्होंने एमए तक की पढ़ाई भी इलाहबाद से पूरी की। 1980 में वो बीबीसी की विदेश प्रसारण सेवा में प्रोड्यूसर हुए और चार साल तक लंदन में काम किया। लंदन के अनुभवों पर उन्होंने लंदन डायरी सीरिज में 24 कविताएं लिखीं। इसके आलावा उनके कई मशहूर कविता संग्रह भी छपे जिनमें ‘जंगल खामोश है’, ‘ईश्वर को मोक्ष’, ‘उत्तराधिकार, ‘अपने आप से लम्बी बातचीत’, ‘शोक का सुख’, ‘खतरा अगले मोड़ की उस तरफ है’ ‘शब्दों से नाता अटूट है’, और ‘चीजें उपस्थित हैं’ प्रमुख हैं। इसके आलावा उन्होंने ‘हिंदी साहित्य का मौखिक इतिहास’ नाम की एक चर्चित किताब भी लिखी थी।

नीलाभ ने सुकान्त भट्टाचार्य, जीवनानन्द दास,  ब्रेख्त, नाजिम हिकमत, अरनेस्तो कादेनाल,  ताद्युश रोजश्विच, निकानोर पार्रा, एजरा पाउण्ड, और पाब्लो नेरूदा की कविताओं का भी अनुवाद किया है। उन्होंने बुकर पुरस्कार से सम्मानित लेखिका अरुंधति राय के उपन्यास ‘गॉड आफ स्माल थिंग्स’ और लेर्मोन्तोव के उपन्यास का ‘हमारे युग का एक नायक’ नाम से अनुवाद किया है।

नीलाभ रेडियो, रंगमंच, टेलीविजन, पत्रकारिता, ध्वनि-प्रकाश कार्यक्रमों, फ्ल्मि और नृत्य-नाटिकाओं के लिए पटकथाए और आलेख भी लिखते थे। वे ‘नीलाभ का मोर्चा’ नाम का एक ब्लॉग भी चलाते थे। नीलाभ बीबीसी के पूर्व पत्रकार भी रह चुके हैं, और लाइवहिंदुस्तान.कॉम के अनुसार नीलाभ बीबीसी की विदेश प्रसारण सेवा में बतौर प्रोड्यूसर काम कर चुके थे।

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