बिहार के गया के करीब एक छोटे से गांव गहलौर के रहने वाले  दशरत मांझी ने 22 साल तक दिनरात मेहनत करके एक पहाड़ को तोड़कर उसके बीच में से रास्‍ता निकाला था। जब उन्‍होने अपने इस अभियान की श्‍ाुुरूआत की थी तो लोगोंं ने उन्‍हें पागल कहना श्‍ुारू कर दिया था। 2007 में आज के ही दिन 73 वर्ष की आयू में उनकी मौत हो गई थी।

देश के इस मांउटेप मैन ने पहाड़ को काटकर निकाला था रास्‍ता

  • दशरत मांझी बिहार के एक छोटे गांव गहलौर के रहने वाले थे।
  • उनके गांव और वंंजीरगंज के बीच में एक विशाल पहाड़ खड़ा था।
  • जिसकी वजह से गांववालों को उस पार जाने के लिए 80 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती थी।
  • 1959 में उनकी पत्‍नी की बेहद दर्दनाक मौत हो गई।

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  • उनकी पत्‍नी की मौत की प्रमुख वजह वो पहाड़ ही था जिसकी वजह से उसको समय पर इलाज नही मिल पाया।
  • अपनी पत्‍नी की मौत केे बाद मांंझी ने ठान लिया कि वो हर हाल में पहाड़़ को तोड़कर  ही दम लेंंगे।
  • उन्‍होने पहाड़ तोड़ने का काम 1960 में शुरू किया।
  • पहाड को तोड़ने का उनका ये अभियान लगातार 20 साल तक जारी रहा।
  • इन 20 सालों तक वो पागलों की तरह पहाड़ को तोड़ने में लगे रहें।
  • जब लोगों ने उन्‍हे पहाड़ तोड़ते हुए देखा तो उन्‍हे लगा कि दशरत पागल हो गया है।
  • लोग उन्‍हे कई सालों तक पागल कहते रहे लेकिन उन्‍होंने कभी लोगों की बातों पर ध्‍यान नही दिया।
  • मांंझी की दिन रात की मेेहनत रंंग लाई और 1982 में आखिरकार वो पहाड़ काटने में कामयाब रहें।
  • उन्‍होने पहाड़ तोड़कर उसके बीच से 360 फुट लम्‍बा और 30 फुट चौड़ा़ रास्‍ता निकाला।
  • 2007 में 73  बरस की आयू में उनकी मौत हो गई।

 

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