बीते 18 दिसंबर से देश की राजधानी दिल्ली स्थित संसद का शीतकालीन सत्र शुरू हुआ था, गौरतलब है कि, यह शीतकालीन सत्र मोदी सरकार के लिए काफी ख़ास रहा है, ऐसा इसलिए है क्योंकि, केंद्र सरकार मुस्लिम महिलाओं के हक़ के लिए लगातार बीते कुछ समय से आवाज़ उठा रही है, वहीँ मौजूदा शीतकालीन सत्र में केंद्र सरकार ने ट्रिपल तलाक(ट्रिपल तलाक बिल) को खत्म करने के लिए प्रस्ताव पेश किया था, जिसके बाद लोकसभा में ट्रिपल तलाक पर कानून को मंजूरी मिल चुकी है।

आज राज्यसभा में पेश किया जायेगा ट्रिपल तलाक कानून(ट्रिपल तलाक बिल):

16 दिसंबर से संसद का शीतकालीन सत्र शुरू हुआ था, जिसमें केंद्र सरकार द्वारा ट्रिपल तलाक पर कानून का प्रस्ताव पेश किया गया था। गौरतलब है कि, यह बिल लोकसभा में पारित हो चुका है, वहीँ केंद्र सरकार मंगलवार 2 जनवरी ट्रिपल तलाक बिल को राज्यसभा में पेश करेगी। मुस्लिम महिला बिल को केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद पेश करेंगे। ज्ञात हो कि, लोकसभा में ट्रिपल तलाक बिल को आसानी से पारित कराने वाली मोदी सरकार के लिए राज्यसभा में बिल को पारित करवाना एक टेढ़ी खीर साबित होगा।

राज्यसभा में यह है मोदी सरकार की मजबूरी(ट्रिपल तलाक बिल):

मोदी सरकार मंगलवार को ट्रिपल तलाक बिल को राज्यसभा में पेश करेगी, लेकिन उच्च सदन में इस बिल को पारित करवाना मोदी सरकार के लिए काफी मुश्किल भरा होने वाला है, गौरतलब है कि, राज्य सभा में NDA और कांग्रेस के पास 57-57 सीटें हैं, हालाँकि इससे पहले भी बीजू जनता दल और AIADMK जैसे दल सरकार की मदद करते रहे हैं, लेकिन सरकार की दिक्कत यह है कि, यह सभी दल मौजूदा समय में ट्रिपल तलाक का विरोध कर रहे हैं।

ऐसे में यदि यह बिल सदन की स्टैंडिंग कमेटी के पास भेजा जाता है, तो सरकार इस सत्र में इस कानून को पारित नहीं करवा पायेगी। गौरतलब है कि, शीतकालीन सत्र जनवरी के पहले हफ्ते में खत्म हो जायेगा, साथ ही साथ इस बिल को कानून बनने के लिए दोनों सदनों में पारित होना आवश्यक है।

यह है राज्यसभा का गणित(ट्रिपल तलाक बिल):

मंगलवार को राज्यसभा में केंद्र सरकार ट्रिपल तलाक बिल को पेश करेगी, जहाँ मोदी सरकार को इस बिल को पारित कराने में समस्या पैदा हो सकती है, गौरतलब है कि, NDA राज्यसभा में बहुमत में नहीं है, जिसके चलते इस बिल को पारित करवाना केंद्र सरकार के लिए आसान नहीं रहने वाला है। स्वतंत्र और नामांकित सदस्यों को छोड़ दें तो राज्यसभा में 28 पार्टियों के सदस्य हैं, जिनमें TMC के 12, SP के 18, AIADMK के 13, CPM के 7, CPI के 1, DMK के 4, NCP के 5, PDP के 2, INLD के 1, शिवसेना के 3, तेलगुदेशम के 6, TRS के 3, VSR के 1, अकाली दल के 3, RJD के 3, RPI के 1, जनता दल(एस) के 1, केरल कांग्रेस के 1, नागा पीपुल्स फ्रंट के 1 और SDF के 1 सदस्य हैं।

वहीँ नामांकित सदस्यों की संख्या जहाँ 6 है, वहीँ सदन में स्वतंत्र सदस्यों की संख्या 8 है। NDA के पास कुल मिलाकर 88 सांसद हैं, जो बिल  पारित करने वाले आंकड़े से 35 कम हैं।

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जुलाई में बहुमत में होगी NDA(ट्रिपल तलाक बिल):

उच्च सदन राज्यसभा में NDA के पास फिलहाल बहुमत नहीं हैं, लेकिन इस साल जुलाई माह तक भाजपा और NDA दोनों के पास राज्यसभा में बहुमत होगा। हालाँकि बहुमत का यह आंकड़ा सरकार राज्यसभा में जुलाई में ही छू पाएगी। ऐसा इसलिए क्योंकि भाजपा ने हाल ही में उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, हरियाणा, झारखण्ड और उत्तराखंड के चुनाव जीते हैं।

क्या है विपक्ष की मंशा(ट्रिपल तलाक बिल):

गौरतलब है कि, लोकसभा में केंद्र सरकार ने महज 7 घंटे में इस बिल को पारित करवा लिया था, वो भी बिना किसी संशोधन के, लेकिन राज्यसभा में ऐसा कुछ भी नहीं होने वाला है। विपक्ष मंगलवार को बिल के खिलाफ अपनी रणनीति बनाएगा, साथ ही सरकार को इस बात के लिए भी मजबूर करेगा कि, बिल को स्टैंडिंग कमेटी के पास भेजा जाये, लोकसभा में पारित किये जाने के दौरान भी विपक्ष ने यह मांग उठायी थी, जिसे सरकार ने ख़ारिज कर दिया था, वहीँ अगर सरकार राज्यसभा में इस कानून को पारित करवा लेती है तो कई मुस्लिम संगठन सुप्रीम कोर्ट का रुख भी कर सकते हैं।

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