सोमवार को महाराष्ट्र के पुणे के पास भीमा-कोरेगांव लड़ाई की 200वीं सालगिरह पर आयोजित कार्यक्रम में दो पक्षों के बीच हिंसा की शुरुआत हुई थी, जिसमें एक शख्स की मौत हो गयी थी. जिसके बाद हिंसा का विस्तार प्रदेश के 18 शहरों तक हो चुका है, जिनमें मुंबई, पुणे, औरंगाबाद, अहमदनगर जैसे शहर शामिल हैं.इस हिंसा को लेकर द्वारिका पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरुपानंद सरस्वती का बयान आया है

दलित कोई नहीं, पूरा हिन्दू समाज एक

महाराष्ट्र में हुई जातीय हिंसा के मामले पर द्वारिका पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरुपानंद सरस्वती का बयान आया है. जाति भेद के आधार पर विद्वेष नहीं उचित है.  हिन्दू धर्म में जातियां लड़ाई झगड़े के लिए नहीं बनीं है बल्कि जातीय आपसी प्रेम और पेशे के लिये बनीं हैं. जातीय हिंसा का समाधान आपसी प्रेम और राष्ट्रीयता में है, दलित कोई नहीं, पूरा हिन्दू समाज एक है.

देश में गौ हत्या पूरी तरह रोके जाने की मांग:

केन्द्र और राज्य सरकार से देश में गौ हत्या पूरी तरह रोके जाने की मांग की है. गंगा को प्रदूषण मुक्त कर अविरल निर्मल बनाने की मांग की है. उन्होंने कहा कि भारत गौ मांस का बना हुआ है सबसे बड़ा निर्यातक देश है.  गौरक्षकों को गुण्डा बताये जाने को बताया गलत और कहा कि गौरक्षकों की शिकायत पर पुलिस को कार्रवाई करनी चाहिए. माघ मेले में ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य के रुप में जमीन न दिए जाने पर नाराज भी थे और कहा कि माघ मेले में इस बार शिविर नहीं लगायेंगे लेकिन मनकामेश्वर मंदिर से जल मार्ग से जायेंगे संगम.

250 से ज्यादा दलित संगठनों ने महाराष्ट्र बंद का ऐलान किया:

देश के महाराष्ट्र जिले में सोमवार से शुरू हुई जातीय हिंसा बढ़कर प्रदेश के 18 शहरों को अपनी चपेट में ले चुकी है, इसके साथ ही करीब 250 से ज्यादा संगठन जिनमें, बहुजन महासंघ, महाराष्ट्र डेमोक्रेटिक फ्रंट, महाराष्ट्र लेफ्ट फ्रंट ने महराष्ट्र बंद का ऐलान किया है. इसके साथ ही मुंबई, ठाणे समेत राज्य के कई इलाकों में प्रदर्शन हो रहे हैं. इतना ही नहीं ठाणे में प्रशासन ने धारा 144 लागू कर दी है.

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