उत्तर प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हो चुका है जिसका असर साफ़ तौर पर देखने को मिल रहा है। सपा सरकार के जाने के बाद भाजपा सरकार ने सत्ता में वापसी की है जिसका असर साफ़ तौर पर देखने को मिल रहा है। पिछली सरकार के जाने के बाद उसके पूर्व विधायक ने एक मामले में आत्मसमर्पण किया था जिसके बाद उनकी सजा पर फैसला आ गया है।

साल 2007 का है मामला :

साल 2007 में उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद के जसराना ब्लॉक पर ताबड़तोड़ फायरिंग घटना देखने को मिली थी। इस मामले में तत्कालीन विधायक रामवीर सिंह यादव को आईपीसी की धारा 120 B अपराधी हैं। मगर सत्ता के प्रभाव और क्षेत्र में उनके दबदबे के कारण विधायक लगातार बचते गये और इस मामले में कभी भी कोर्ट के दरवाजे पर दस्तक देने नहीं गये।

सत्ता बदलते ही पहुंचे सलाखों के पीछे :

ये मामला फिलहाल सुप्रीमकोर्ट में पहुँच चुका है। कोर्ट ने इन्हें कई बार आत्मसमर्पण करने के लिए कहा गया मगर रामवीर सिंह यादव अपनी हनक में रहे और कोर्ट के हुक्म का अनादर करते रहे। मगर उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के आते ही अधिकारीयों दबाव पड़ा। इसके बाद आखिरकार पूर्व विधायक रामवीर सिंह यादव ने कोर्ट पहुँच कर आत्मसमर्पण कर दिया।

कोर्ट ने जमानत याचिका की खारिज :

फिरोजाबाद के जसराना से समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायक और मुलायम सिंह यादव के समधी रामवीर सिंह यादव की जमानत याचिका को कोर्ट ने खारिज कर दिया है। रामवीर सिंह यादव की जमानत याचिका पर काफी देर तक सुनवाई हुई। स्थानीय अदालत ने उनके सारे मुकदमों का ब्यौरा माँगा। इसके बाद कोर्ट में बहस लगभग ढाई घंटे तक चली और अंत में अदालत ने अपना फैसला देते हुए रामवीर संघ यादव की जमानत याचिका को खारिज किया और उन्हें वापस जेल भेज दिया। अब जमानत न मिलने तक मुलायम के समधी जेल में रहेंगे।

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