मैडम जी! यहां हमें जरा जरा सी बात पर पीटा जाता है। कुछ मांगने पर अधीक्षक गाली देते हैं। ठंड, गंदगी और दुर्गंध के बीच एक एक दिन सजा की तरह गुजरता है। घरवालों से कोई बात नहीं कराता, पता बताने पर भी घर नहीं भेजा जा रहा है, प्लीज भिजवा दीजिए। यह दर्द भरी दास्तान उन मासूम बच्चों ने सुनाई जिन्हें अनाथ मानकर मोहान रोड स्थित राजकीय बालगृह किशोर में आश्रय दिलाया गया है। एएसपी ग्रामीण डॉ. सतीश कुमार की अगुवाई में बालगृह में औचक निरीक्षण में हालात बेहद बुरे मिले।

मासूमों के चेहरों पर मिले जख्म

एएसपी ग्रामीण की अगुआई में निरीक्षण टीम को देखते ही बच्चे घर भेजने की मिन्नतें करने लगे। बच्चों ने बताया कि उनके इलाज को लेकर यहां कोई व्यवस्था नहीं है। डॉक्टर अपनी मर्जी पर आते हैं। बीमार होने पर कुछ दवाइयां पकड़ा दी जाती हैं। दिव्यांग बच्चों के कक्ष में कई गंभीर अवस्था में मिले। कुछ के चेहरे काले और पैर पर जख्म थे। इस बाबत पूछने पर कर्मचारियों ने सफाई दी कि मानसिक रूप से अस्वस्थ्य इन बच्चों ने अपने ही नाखूनों से यह जख्म किए हैं।

गंदी चादरों और हल्के कंबलों में गुजार रहे ठंड

बच्चों के लिए बिस्तर चादरें कई महीनों से साफ नहीं किए हुए नजर आए। वहीं कंबल इतने हल्के लेकिन में सर्दी का मुकाबला करना संभव नहीं लग रहा था। रसोई में भी गंदगी मिली। धुले बर्तनों पर भी जूठन लगी थी। बच्चों ने बताया कि वही आटा गूंथने बर्तन, सब्जी धोने, झाड़ू लगाने का काम करते हैं। इस पर संविदा कर्मचारियों ने बताया कि इन कामों के लिए तैनाती स्थाईकर्मी अक्सर बाल गृह नहीं आते।

गंदे कपड़ों से गुजरते हैं महीनों

टीम को निरीक्षण के दौरान बच्चों के कपड़े बेहद गंदे मिले। कई बच्चों ने बताया कि उनके कपड़े नहीं बदले जाते। जब कोई अधिकारी आने वाला होता है तब नए कपड़े पहनाकर उसके आते ही वापस ले लिए जाते हैं। बच्चों के कमरे के पास के बाथरूम में दरवाजा तक नहीं है। यहां कई दिव्यांग विशेष बच्चों को भी सामान्य बच्चों के साथ रखा गया है। ऐसे में इनके बीमार होने का खतरा भी बना हुआ है। वही वाटर कूलर के पास गंदगी जमा मिली।

अधीक्षक के आते ही बच्चे हो गए डर के मारे खामोश

बातचीत के दौरान अधीक्षक हरीश श्रीवास्तव के आते ही बच्चे खामोश हो गए। जब उन्हें बाहर भेजा गया तो मासूमों ने अपनी व्यथा सुनाई। उन्होंने दैनिक उपयोग की चीजें ना मिलने की शिकायत की। निरीक्षण में विशेष किशोर पुलिस इकाई (एसजेपीयू) की डॉ. शैलजा निगम, विभा सिंह, सामाजिक कार्यकर्ता कृति सिंह, सुनील मिश्रा, मानवेंद्र सिंह, बचपन बचाओ आंदोलन से रविशंकर और एक अन्य एनजीओ से अमर सिंह थे।

कई बार प्रताड़ना से भाग चुके बच्चे

बालगृह से कई बार बच्चे प्रताड़ना से तंग आकर भाग चुके हैं। बीते वर्ष बच्चों के भागने की दुर्घटनाएं हो चुकी हैं। निरीक्षण के दौरान अधिकतर कमरों के सीसीटीवी कैमरे खराब मिले। डीवीआर देखने पर पता चला कि 7 कमरों के कैमरे खराब है। इस कारण बच्चों से होने वाले व्यवहार के बारे में पता नहीं चला। फाइलों की जांच में पता चला कि दस्तावेज भी पूरे नहीं हैं। बच्चों को घर भिजवाने के नाम पर अधीक्षक संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए।

पूछताछ में क्या बोले जिम्मेदार

इस संबंध में बालगृह के अधीक्षक हरीश श्रीवास्तव ने बताया कि यहां पहले भी टीम निरीक्षण करने आ चुकी है। मैंने समझाया कि जो भी आरोप यहां की कार्यप्रणाली पर लगाए जा रहे हैं उसकी मजिस्ट्रेट जांच जारी है। इसकी रिपोर्ट भी निरीक्षण करने आई टीम को दिखाई, लेकिन वह नहीं माने। हम किसी भी सक्षम अधिकारी से जांच कराने के लिए तैयार हैं। वहीं एएसपी ग्रामीण डॉ. सतीश कुमार ने बताया कि राजकीय बालगृह (किशोर) मोहन रोड बालगृह में निरीक्षण के दौरान गंभीर खामियां मिली हैं। टीम से जल्द रिपोर्ट देने को कहा गया है। इसके आते ही उचित कार्यवाही करने की सिफारिश के साथ पुलिस प्रशासन और विभाग के आला अधिकारियों को भेजा जाएगा।

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