बसंत पंचमी 2018 ( Basant Panchami 2018) का पर्व पूरे भारतवर्ष में सोमवार यानी 22 जनवरी 2018 को बड़े ही धूमधाम से मनाया गया। बसंत पंचमी की धूम शहर से लेकर गांवों में भी देखने को मिली। हिन्दू पंचांग के अनुसार हर साल माघ महीने में शुक्ल की पंचमी को मां सरस्वती की उपासना होती है। बसंत पंचमी के उपलक्ष्य में शहर के ग्रामीण इलाकों में भी धूम है। लोग सरसों के पीले खेतों में लोग उमड़ रहे थे। बसंत पंचमी पर सरसों के खेतों में युवतियां सेल्फी लेने को आतुर दिख रही थीं। वहीं युवतियों ने जमकर मस्ती की। बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा विधि विधान से की जाती है। मां सरस्वती ज्ञान-विज्ञान, कला, संगीत और शिल्प की देवी हैं।

मनकामेश्वर मठ-मंदिर का पीले फूलों से हुआ भव्य श्रंगार

बसंत पंचमी, सरस्वती पूजा एवं शहीद रोशन सिंह जयंती के अवसर पर सोमवार को मनकामेश्वर मठ-मंदिर की दिव्यता अपने चरम पर थी। बसंत ऋतु आगमन के मौके पर मठ-मंदिर को पीले बसंत ऋतु के पुष्पों से श्रृंगारित किया गया। इस अवसर पर भगवान महादेव के दर्शन करने के लिए सुबह से ही श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा।

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21 सेवादारों के साथ मिल कर की गई बसंत महाआरती

मनकामेश्वर मठ मंदिर की महंत देव्यागिरि ने मंदिर परिसर में भगवान महादेव की महा आरती की। आचार्य शिवराम अवस्थी के आचार्यत्व में सभी सेवादार पीली रंग की वेशभूषा में सुसज्जित होकर हर हर महादेवं के जयगोष के साथ सोमवार की सांध्यकालीन आरती और पूजा अर्चना की। महा आरती में यश अग्रवाल, प्रेम अवस्थी, विक्की, दिनेश राठौड़, नक्षत्र पांडेय, आशीष कुमार, आशीष चौधरी, सोनू सिंह, वरुण सोनकर, विजय मिश्रा, अमन शुक्ला, अमित गुप्ता, दीपू ठाकुर, कमल जायसवाल, शुभतिवारी, बृजेश सिंह, अमित मिश्रा, तरुण, आदित्य मिश्र, मुकेश,मनी, अनिकेत, अनिल कुमार मिश्रा, संजीत, मोहित कश्यप, हिमांशु गुप्ता, कृष्णा सिंह व गजेंद्र प्रताप सिंह की अहम भूमिका रही।

कन्याओं ने सजाई सरस्वती स्वरूपा रंगोली

मनकामेश्वर मठ-मंदिर के प्रांगण में प्रमुख ग्रह गर्भ के सामने परिसर में उपमा पांडेय के निर्देशन में नीतू, पूनम, सीमा, ज्योति, पिंकी, तुलसी, प्रियंका रावत, समेत अन्य लड़कियों ने फूलों एवं दीपों के साथ सरस्वती स्वरूपा रंगोली सजाई।

शहीद क्रांतिकारी रोशन सिंह जयंती मनाई गई

मठ-मंदिर पर क्रांतिकारी रोशन सिंह जयंती भी मनाई गई। महंत देव्यागिरी ने क्रांतिकारी रोशन सिंह के चित्र पर माल्यार्पण किया। देव्यागिरि ने कहा कि क्रांतिकारी ठाकुर रोशन सिंह का जन्म उत्तरप्रदेश के ख्यातिप्राप्त जनपद शाहजहांपुर में स्थित गांव नबादा में 22 जनवरी 1892 को हुआ था। उनकी माता का नाम कौशल्या देवी और पिता का नाम ठाकुर जंगी सिंह था।

ठाकुर रोशन सिंह ने छह दिसंबर 1927 को इलाहाबाद नैनी जेल की काल कोठरी से अपने एक मित्र को पत्र में लिखा था…। एक सप्ताह के भीतर ही फांसी होगी। ईश्वर से प्रार्थना है कि आप मेरे लिए रंज हरगिज न करें। मेरी मौत खुशी का कारण होगी।

दुनिया में पैदा होकर मरना जरूर है। दुनिया में बदफैली करके अपने को बदनाम न करें और मरते वक्त ईश्वर को याद रखें, यही दो बातें होनी चाहिए। ईश्वर की कृपा से मेरे साथ यह दोनों बातें हैं। इसलिए मेरी मौत किसी प्रकार अफसोस के लायक नहीं है।

दो साल से बाल-बच्चों से अलग रहा हूं। इस बीच ईश्वर भजन का खूब मौका मिला। इससे मेरा मोह छूट गया और कोई वासना बाकी न रही। मेरा पूरा विश्वास है कि दुनिया की कष्टभरी यात्रा समाप्त करके मैं अब आराम की जिंदगी जीने के लिए जा रहा हूं। हमारे शास्त्रों में लिखा है कि जो आदमी धर्म युद्ध में प्राण देता है उसकी वही गति होती है, जो जंगल में रहकर तपस्या करने वाले महात्मा मुनियों की…।

पत्र समाप्त करने के पश्चात उसके अंत में उन्होंने अपना यह शेर भी लिखा…

‘..जिंदगी जिंदा-दिली को जान ऐ रोशन
..वरना कितने ही यहां रोज फना होते हैं..।’

फांसी से पहली की रात ठाकुर रोशन सिंह कुछ घंटे सोए। फिर देर रात से ही ईश्वर भजन करते रहे। प्रात:काल शौच आदि से निवृत्त हो यथानियम स्नान-ध्यान किया। कुछ देर गीता पाठ में लगाया फिर पहरेदार से कहा.. ‘चलो.., वह हैरत से देखने लगा यह कोई आदमी है या देवता।

उन्होंने अपनी काल कोठरी को प्रणाम किया और गीता हाथ में लेकर निर्विकार भाव से फांसी घर की ओर चल दिए। फांसी के फंदे को चूमा फिर जोर से तीन बार वंदे मातरम का उद्घोष किया और वेद मंत्र का जाप करते हुए फंदे से झूल गए।

30 जनवरी को होगी नमोस्तुते माँ गोमती महाआरती

देव्यागिरि ने कहा कि माघ शुक्ल पूर्णिमा पर होने वाली नमोस्तुते माँ गोमती की महाआरती इस बार चंद्रग्रहण के कारण 31 जनवरी की जगह पर 30 जनवरी मंगलवार को पहले की भांति मनकामेश्वर उपवन घाट पर होगी।

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