कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाँधी उत्तर प्रदेश में अपनी ‘किसान यात्रा’ के चौथे दिन अयोध्या में हैं। उनका यह दौरा इसलिए भी खास हो जाता है क्योंकि  1992 में विवादित ढांचा गिराए जाने के 24 साल बाद गांधी परिवार का कोई सदस्य पहली बार अयोध्या में है। राहुल गांधी विवादित परिसर और मंदिर निर्माण के लिए रखे गये पत्थरों वाली जगह पर तो नहीं गए, लेकिन उन्होंने हनुमान गढ़ी में जाकर जरूर बजरंगबली के दर्शन कियें।

  • राहुल गांधी के अयोध्या दौरे को विपक्ष हिदुत्व के कार्ड के तौर पर देख रहा है।
  • हालांकि कांग्रेस नेताओं का कहना है कि राहुल के मंदिर के दौरे का किसी भी प्रकार की राजनीति से कोई मतलब नही है।
  • लेकिन 24 साल बाद भगवान राम की जन्मभूमि पर कांग्रेस उपाध्यक्ष के आगमन के सियासी मायने निकाले जा रहें हैं।
  • एनसीपी नेता तारिक अनवर ने कहा कि गांधी परिवार के यह हमेशा सर्वधर्म सद्भाव में विश्वास रहा है।
  • यही देश की संस्कृति में है और कांग्रेस इसी का प्रतिनिधित्व करती आई है।

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भाजपा अध्यक्ष ने बोला हमलाः

  • राहुल गांधी के अयोध्या यात्रा पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष केशव मौर्या ने तीखा प्रहार किया है।
  • केशव मौर्या ने कहा कि यूपी में कांग्रेस पहले ही खत्म हो चुकी है, बाकी का काम राहुल की यात्रा कर देगी।
  • भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि राहुल जिस प्रदेश में प्रचार करते हैं वहां कांग्रेस खत्म हो जाती है।
  • मालूम हो कि केशव पश्चिमी यूपी के दौरे पर हैं, यहां वह पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ बैठक करेंगे।
  • केशव ने कहा कि भाजपा प्रदेश सरकार के कुशासन के खिलाफ है और हम कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर सुशासन लायेंगे।
  • उन्होंने कहा कि राहुल ने बजरंगबली के दर्शन किये, यह देखकर अच्छा लगा।
  • इसके साथ ही केशव ने मंत्री आजम खान को भी निशाने पर लिया।
  • भारत रत्न बाबा साहेब अंबेडकर के खिलाफ टिप्पणी वह उन्होंने आजम की बर्खास्तगी की मांग की।
  • केशव ने कहा कि सरकार आजम पर अभियोग पंजीकृत कर कर्रवाई करे।

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छवि बदलना चाहती है कांग्रेसः

  • मालूम हो, कि अयोध्या वो ही जगह है जहां से राम मंदिर को मुद्दा बनाकर बीजेपी ने सफलता के कई पायदान चढ़ें हैं।
  • बीते कुछ सालों से कांग्रेस की छवि धर्मनिरपेक्ष पार्टी के बजाय हिंदू विरोधी पार्टी के तौर पर बनने लगी थी।
  • यूपी की सत्ता से 27 साल से दूर कांग्रेस अब अपनी इस छवि को तोड़ना चाहती है।
  • उसे पता है कि सबसे बड़े प्रदेश की सत्ता हिंदू वोटों के सहयोग के बिना नहीं मिल सकती है।
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