मेरठ में हो रहे राष्ट्रोदय समागम में लगभग 3.5 लाख लोग मौजूद हैं। जिसमें पताका फहराने के बाद मोहन भागवत ने अपना ने समागम को संबोधित किया। अपने संबोधन में मोहन भागवत ने कहा कि 2 हजार सालों से दुनिया ने परिवर्तन कर लिया लेकिन किसी को शांति नही मिली। भारत के पास धर्म एक ऐसा रास्ता है जो सब को सुखी कर सकता है। इस धर्म की सब को जरूरत है। इस धर्म को सबको देने के लिये भारत को तैयार रहना है। भारत का सारा समाज एक जुट हो।

कुछ शक्तियों के विरुद्ध हम सब को एक होना है। कार्यक्रम के नाम को डिफाइन किया। राष्ट्र के उदय दुनिया मे होते रहे है। सभी देश अपनी अपनी खूबियों से अस्तित्व में आए। हमारा राष्ट्र अमर है। दुनिया में कहीं सम्प्रदाय एक है लेकिन वो फिर भी एक नहीं है। हिन्दू एक है, गर्व से कहो हम हिन्दू हैं। हिन्दुओं को एक होना है, ये हमारा धर्म है। हम जात-पात में बंटकर भूल गए और हम लड़ाई करते है।

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हितैषी के बजाए सहयोगी बनेंः मोहन भागवत

संघ प्रमुख ने कहा कि राज्य चलाने के लिए भगवान राम ने अपने घर परिवार को त्याग दिया लेकिन प्रजा की सेवा की। क्या कमाया यह हम नहीं देखते क्या बांटा हम यह देखते हैं। विविधता में एकता एक पंथ संप्रदाय के मूल्य नहीं हैं। आदर्श के लिए संस्कार देने पड़ते हैं। जो व्यक्ति स्वयं के गौरव को नहीं जानता वह कभी भी उन्नति नहीं कर सकता। शक्ति के लिए प्रदर्शन की नहीं प्रयोग की आवश्यकता होती है। संघ समरसता एकता की साधना है, संपूर्ण समाज को आरएसएस बनना होगा। हितैषी के बजाए सहयोगी बनने पर जोर दिया। इस मौके पर जनरल वीके सिंह, डा. सत्यपाल सिंह प्रदेश सरकार के मंत्री चेतन चैहान, धर्म सिंह सैनी के साथ सभी सांसद, विधायक भी मौजूद रहे।

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