2 सितंबर को यूपी की राजनीति में अचानक भूचाल आ गया। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने खनन मंत्री गायत्री प्रजापति को भ्रष्टाचार के आरोप में बर्खास्त कर दिया। कुछ ही देर बार इसी आरोप में पंचायती राज मंत्री राजकिशोर सिंह को भी बर्खास्त किया गया। पहली बार इस सरकार ने किसी मंत्री को भ्रष्टाचार के आरोप में बर्खास्त किया। लेकिन अखिलेश यादव द्वारा खनन मंत्री की बर्खास्तगी ने समाजवादी परिवार और उसके बाहर चर्चा छेड़ दी है।
एक तरफ सपा सुप्रीमो का कहना है कि अखिलेश ने इस मुद्दे पर उनसे बात नही की थी। उन्हें मीडिया के माध्यम से बर्खास्तगी की खबरें मिली। वहीं शिवपाल यादव भी दिल्ली आवास पर मुलायम सिंह से मिलकर इस मुद्दे पर बात किये।

खनन मंत्री को बचाने की कोशिश में थी सरकार-

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 28 जुलाई को अवैध खनन बंद कराए जाने को लेकर इस मामले की पूरी जांच सीबीआई से कराने के आदेश दिए थे। कोर्ट ने कहा था कि यूपी सरकार द्वारा अवैध खनन के काम को बंद कराए जाने के काम में दिलचस्पी नहीं लिए जाने के बाद इस मामले में सीबीआई जांच के अलावा और कोई रास्ता नहीं बचता है।

कोर्ट ने कहा था सरकारी अफसरों की जानकारी और उनकी मिलीभगत के बिना अवैध खनन मुमकिन ही नहीं है।

सीबीआई जांच को अखिलेश सरकार ने दी थी चुनौती-

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मामले की सीबीआई जांच कराने के आदेश दिए थे, लेकिन सरकार इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में स्पेशल लीव पेटिशन (विशेष अनुमति याचिका) दायर करने की बात भी सामने आ गयी थी।

बीते शुक्रवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट में यूपी सरकार ने अर्जी दी थी कि अवैध खनन पर सीबीआई जांच का ऑर्डर वापस ले लिया जाए। लेकिन हाईकोर्ट ने सरकार की इस याचिका को ठुकरा दिया। जिसके बाद खनन मंत्री को बर्खास्त कर मुख्यमंत्री डैमेज कंट्रोल में जुट गए हैं।

साथ ही हाई कोर्ट ने तल्ख़ टिप्पणी करते हुए कहा था कि ,`ऐसा लगता है कि सरकार के लोग और अफसर भी अवैध खनन में शामिल हैं। इसी कारण से कोर्ट को गुमराह कर रही है सरकार।`

हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव को भी लगाई थी फटकार-

  • अवैध खनन मामले में हाईकोर्ट ने सख्त टिप्पणी की थी।
  • कोर्ट ने कहा कि प्रमुख सचिव का यह कहना कि उन्हें किसी भी जिले में अवैध खनन की सूचना नहीं है।
  • यह आंख में धूल झोंकने जैसा है।
  • कोर्ट ने कहा कि प्रमुख सचिव ने हलफनामा दायर किया था।
  • जिसमें कहा था कि अवैध खनन पर रोक के लिए प्रत्येक जिले में अधिकारियों की टीम गठित कर दी गई है।
  • टीम के मुताबिक यूपी में कहीं भी अवैध खनन नहीं हो रहा है।
  • ऐसा लगता है कि ये सरकार ही अवैध खनन को बढ़ावा दे रही है।

यूपी में हर महीने अवैध खनन का तकरीबन 100 करोड़ रुपए का कारोबार है। इसमें भू माफियाओं, अफसरों से लेकर नेताओं तक की भागेदारी है। यही कारण है कि यह अवैध व्यापार अब तक फल-फूल रहा है। हर ट्रक पर हजारों रुपए की काली कमाई होती हैं। खुलेआम ट्रकों से ओवरलोडिंग कर राजस्व, वैट और इनकम टैक्स की चोरी की जाती है।

पहले अखिलेश यादव के पास था खनन विभाग-

गौरतलब है कि गायत्री प्रसाद प्रजापति से पहले यह विभाग अखिलेश यादव के पास था। इस विभाग को अखिलेश यादव ने अपने पास रखा था। यूपी के दर्जनों जिले से अवैध खनन को लेकर हाई कोर्ट में याचिकाएं दायर होती रही हैं। सरकार ने एक तरफ भ्रष्टाचार में लिप्त होने का हवाला देकर मंत्री को बर्खास्त किया। वहीँ सीबीआई जांच ना कराने की अपील भी करती रही। खनन मंत्री रहे गायत्री प्रजापति की कोर्ट में सुनवाई अभी बाकी है। हाई कोर्ट द्वारा सरकार की दलीलें ठुकराने के बाद सरकार के पास कोई चारा नहीं बचा था। अपने दामन पर पड़ते छींटे देखकर खनन मंत्री की कुर्बानी से मामले को नया मोड़ देने की कोशिश भर लगती है ये बर्खास्तगी।

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