भारत के आए फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को पीएम के संसदीय क्षेत्र और धार्मिक नगरी वाराणसी में गंगा नदी में जलयात्रा कर सैर की। इस क्रम में फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल फैक्रों ने नौका विहार का भी आनंद उठाया। इससे पहले पीएम ने मिर्जापुर में सोलर पॉवर प्लांट का उद्घाटन किया यहां से वह वाराणसी पहुंचे। बता दें कि लाल बहादुर शास्त्री अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर राज्यपाल राम नाईक के साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्वागत किया।

दीनदयाल हस्तकला संकुल से सीधे पीएम मोदी के साथ राष्ट्रपति मैक्रों अस्सी घाट पहुंचे। दीनदयाल हस्तकला संकुल में सोमवार को पत्नी के साथ वाराणसी के साथ ही देश की कला की विधाओं से परिचय प्राप्त करने के बाद फ्रांस राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों दोपहर 1:30 बजे वहां से निकले। इसके बाद पीएम नरेंद्र मोदी व फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों अस्सी घाट पर दोपहर 2:15 बजे पहुंचे। वहां से बोट पर सवार होकर गंगा नदी के विभिन्न गंगा घाटों से होते हुए दशाश्वमेध घाट पर पहुंचे। यहां पीएम मिर्जापुर में सोलर प्लांट का उद्घाटन कर वापस धार्मिक नगरी वाराणसी पहुंचे।

फ्रांस के राष्ट्रपति के साथ उनकी पत्नी भी समृद्ध काशी की विरासतों से परिचित हो रहीं हैं। इनके साथ प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी हैं। मिर्जापुर में फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों का परंपरागत तरीके से स्वागत हुआ। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मिर्जापुर में विंध्य की धरा पर पहुंचते ही फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों का परंपरागत ढंग से स्वागत किया गया। मां विंध्यवासिनी पर चढ़ी चुनरी से स्वागत किया गया।

फ्रांस के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने किया सोलर एनर्जी प्लांट का उद्घाटन

उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिला में फ्रांस के सहयोग से दादर कला गांव में 75 मेगावाट का सोलर एनर्जी प्लांट लगाया गया है। तीन दिवसीय दौरे पर भारत आए फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को इसका उद्घाटन किया। फ्रांस के सहयोग से देश में ये पहला पॉवर प्लांट लगाया गया है।

तीन लाख से अधिक सोलर प्लेट प्लांट में लगी

प्रोजेक्ट ऑपरेटर प्रकाश कुमार के मुताबिक सूर्य की रोशनी के साथ एनर्जी जनरेट होगी और रोशनी खत्म होते प्लांट अपने आप बंद हो जाएगा। बता दें कि इस सोलर प्लांट में 3,18, 650 सोलर प्लेट्स हैं। हर सोलर प्लेट 315 वाट बिजली बनाएगी। 650 करोड़ रुपए की लागत से 382 एकड़ में यह प्लांट 18 महीने में बना। स्विच बंद करने या चालू करने की जरूरत नहीं होगी। इस सोलर प्लांट सेे बिजली जिगना के 132 केवी पावर हाऊस को सप्लाई की जाएगी। मिर्जापुर ए और बी खंडों में बांटकर बिजली दी जाएगी। बची बिजली इलाहाबाद में सप्लाई होगी। मिर्जापुर के दादर कला गांव में बने इस प्लांट की सबसे खास बात ये कि इसे 382 एकड़ की पथरीली जमीन पर बनाया गया है। जिससे कृषि उत्पादित भूमि का नुकसान नहीं हुआ।

250 मजदूरों ने लगातार काम कर बनाया प्लांट

इस सोलर प्लांट की अगर खासियत की बात करें तो इसमें 3,18, 650 सोलर प्लेट्स लगाई गई हैं। प्लांट में, 315 वाट की प्रत्येक प्लेट 650 करोड़ लागत आई है। 382 एकड़ पथरीली भूमि पर सोलर प्लांट बनाया गया है। 250 मजदूरों ने लगातार काम करके सोलर प्लांट को बनाया है। 18 महीने में बनकर तैयार हुए सोलर प्लांट में 18 एक्सपर्ट्स लगे। इस प्लांट द्वारा 1.5 लाख घरों को प्रतिदिन बिजली देने की क्षमता है। 5 लाख यूनिट बिजली रोज उत्पादित होगी। प्लांट से 40 लाख यूनिट प्रतिदिन की खपत मिर्जापुर में है।

मंडुवाडीह-पटना इंटरसिटी एक्सप्रेस को पीएम मोदी ने दिखाई हरी झंडी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को वाराणसी में मंडुआडीह रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म नम्बर एक पर दुल्हन की तरह सजकर खड़ी मंडुआडीह-पटना इंटरसिटी एक्सप्रेस को जैसे ही प्रधानमंत्री ने शाम के 4:48 बजे हरी झंडी दिखाई, मुख्य लोको पायलट मोहम्मद मजहर अब्बास ने अपने सहयोगी अखिलेश कुमार त्रिपाठी के साथ ट्रेन को गति दे दी।

महामना एक्सप्रेस जो की वाराणसी से दिल्ली के बीच चलती है के तर्ज पर इसमें तस्वीरों के माध्यम से भारत की संस्कृति के दर्शन कराये जायेंगे। इसमें मेघालय के खासी नृत्य से लेकर राजस्थान की पारम्परिक कलाकृतियों को जगह दी गयी है। ये इस ट्रेन में कई खूबियां हैं। मंडुआडीह पटना इंटरसिटी एक्सप्रेस ट्रेन यहां से रोजाना चलेगी। यह ट्रेन मंडुआडीह से सुबह 6:15 बजे रोज़ाना रवाना होगी और 4:31 मिनट की यात्रा कर 10:35 बजे पटना पहुंच जाएगी। उसी दिन शाम में पटना से चलकर ये रात में वापस मंडुआडीह पहुंच जाएगी।

पुराने डिब्बों से बने हैं ट्रेन के कोच

ट्रेन के सभी 11 चेयरकार और दो जनरल कोच पुराने डिब्बों की मरम्मत कर बनाए गए हैं। सभी कोच भोपाल स्थित सवारी डिब्बा पुनर्निर्माण कारखाने से निर्मित हैं। ये सभी डिब्बे भोपाल स्थित सवारी डिब्बा पुननिर्माण कारखाने में निर्मित है। इसकी एक मात्र एसी चेयरकार बोगी भी पुरानी है। चेयरकार की हर सीट के सामने दूसरी सीट से लगी एक टेबलनुमा प्लेट लगी है।

महामना एक्सप्रेस की ही तरह बायो टायलेट की व्यवस्था

ट्रेन में महामना एक्सप्रेस की ही तरह बायो टायलेट की व्यवस्था की गयी है। इससे पटरियों पर मल मूत्र नहीं गिरेगा। इसके अलावा सभी बोगियों में डस्टबिन और अग्निशमन यंत्र की व्यवस्था की गयी है। सभी कोच में एलईडी डिस्प्ले है। इसके जरिये ट्रेन कहां पहुंची, कौन सा स्टॉपेज है, यह जान सकेंगे। इसके अलावा टॉयलेट खाली न रहने पर इसके ऊपर रेड सिग्नल का सिंबल दिखेगा। खाली रहने पर ग्रीन सिग्नल होगा। हर जनरल चेयरकार कोच में 108 सीटें हैं। एसी चेयरकार में 73 सीटें हैं, सभी बोगियों में 18 स्विच हैं।

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