बदायूं जिले के कुंवर गांव के दुरगैया स्थित एक गावं में अराजकतत्वों द्वारा मूर्ति तोड़ दी गई थी। जिसके बाद आनन-फानन में पुलिस ने आगरा से बाबा साहब की मूर्ति लगाई गई थी, जो भगवा रंग में रंगी हुई थी। जिसके बाद सियासी लोगों का पारा चढ़ने लगा। मामले को तूल पकड़ते देख मूर्ति को पुनः नीले रंग में रंग दी गई। बसपा नेताओं ने आंबेडकर की मूर्ति को भगवाकरण करने पर निन्दा की है। कहा कि इसके लिए जनता उन्हें कभी माफ नहीं करेगी। दलित समाज इसकी कड़ी आलोचना करता है।

अराजकतत्वों ने तोड़ दी थी मूर्ति

बता दें कि बदायूं जिले के कुंवरगांव के दुगरैया स्थित एक गांव में शुक्रवार की रात डॉ. आंबेडकर की प्रतिमा तोड़ दी गई थी। जिसके बाद जिला प्रशासन ने आनन-फानन में आगरा से आंबेडकर की नई प्रतिमा मंगवाई। रविवार को प्रतिमा का ग्रामीणों के बीच अनावरण किया गया। वहीं इस मौके पर बसपा जिलाध्यक्ष हेमेंद्र गौतम समेत बसपाइयों ने जोश-खरोश के साथ प्रतिमा पर माल्यार्पण किया तो प्रशासन ने भी राहत की सांस ली।

सीओ सिटी ने कहा-

इस बावत सीओ सिटी वीरेंद्र यादव ने कहा कि कुंवरगांव के दुगरैया में तोड़ी गई प्रतिमा के स्थान पर बाबा साहेब की नई प्रतिमा को आगरा से मंगवाकर स्थापित करवा दी गई। रविवार को समाज के लोगों ने इसका विधिवत अनावरण किया गया। सभी महापुरुषों की प्रतिमाओं की सुरक्षा के लिए सभी थाना पुलिस व बीट पुलिस कर्मियों को सतर्क रहने को कहा है।

तो क्या बाबा साहब पर रंग थोपा जा रहा है ?

मौसम के बदलते मिजाज के साथ भगवा रंग की मूर्ति लगाए जाने के बाद सियासी हवा थोड़ी तेज हो गई है। बाबा साहब के नीली मूर्ति के बजाए भगवा रंग की मूर्ति लगाए जाने के बाद सियासी गलियारों में चर्चाओं को दौर चलने लगा है। सोचने वाली बात है कि बाबा साहब एक प्रखर समाजसेवी एवं पेशे से वकील थे। एक वकील हमेशा काला कोट ही पहनता है तो क्या बाबा साहब पर रंग थोपा जा रहा है ? आखिर पहली बार बाबा साहब को नीले रंग में कब रंगा गया ? क्या भाजपा सरकार के आने के बाद धीरे धीरे पूरे देश के मूर्तियों का भगवाकरण करने की शुरूआत हो रही है ?

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