उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के वीमेन पॉवर लाइन 1090 चौराहे से बुधवार को राष्ट्रीय डेंगू दिवस 2018 पर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की ओर से एक जागरूकता रैली निकाली गई। जागरूकता रैली में डॉक्टर और तमाम नर्सें हाथों ने विभिन्न प्रकार के स्लोगन लिखी तख्तियां लेकर लोगों को जागरूक कर रही थी। रैली में सभी को डंगू की रोकथाम और नियंत्रण के लिए जागरूक किया गया।

हर वर्ष 16 मई को मनाया जाता है डेंगू दिवस

जागरूकता रैली में डॉक्टर्स ने बताया कि डेंगू की रोकथाम और नियंत्रण हर व्यक्ति की ज़िम्मेदारी है। हम सभी मिलकर कुछ बेहतर कर सकते हैं। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (स्वा.प.क.मंत्रा.) भारत सरकार द्वारा 16 मई को राष्ट्रीय डेंगू दिवस मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य डेंगू के बारे में जागरूकता प्रसारित, निवारक कार्रवाई की पहल और रोग के संचारण वाले मौसम के समाप्त होने तक डेंगू को नियंत्रित करना हैं। डॉक्टरों ने बताया कि डेंगू मच्छर के काटने से प्रसारित होने वाला सामान्य वायरल रोग है। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य डेंगू के बारे में जागरूकता प्रसारित करना, निवारक कार्यवाही की पहल और रोग के संचारण वाले मौसम के समाप्त होने तक डेंगू को नियंत्रित करना है।

डेंगू से हड्डियों में होता है दर्द

जागरूकता रैली में बताया गया कि यह रोग मच्छर के माध्यम से संचारित होता है,जिसे एडीज एजिप्टी कहा जाता है। यह दो रूपों में होता है। इसका एक रूप क्लासिकल डेंगू बुखार होता हैं, जिसे हड्डी तोड़ “बुखार के रूप में जाना जाता है, क्योंकि इसमें रोगी के जोड़ों में गंभीर दर्द होता है। इसका दूसरा रूप डेंगू हैमरेज ज्वर यानि कि रक्तस्रावी डेंगू बुखार होता हैं। यह बुखार न केवल दर्दनाक होता है बल्कि जीवन के लिए प्राणघातक भी होता है। आमतौर पर, इसके परिणामस्वरुप नाक, मसूड़ों या मूत्र में असामान्य रक्तस्राव होता है। डेंगू को रोकने का सबसे बेहतर उपाय मच्छरों के काटने और घरों के अंदर एवम् उसके आसपास मच्छरों प्रजनन के बचना है।

डेंगू से बचाव के तरीके

➡रात में सोते समय मच्छरदानी या मच्छर भगाने वाले साधनों का उपयोग करें।
➡मच्छरों से बचने के लिए हाथ या पैर दिखने वाले परिधानों का उपयोग न करें।
➡कपड़ें ऐसे पहने जिसमें हाथ पैर खुला न रहें।
➡पानी को एक जगह स्थिर न रहने दें।
➡आमतौर पर मच्छरों के प्रजनन की प्रमुख जगहों में प्लास्टिक के बर्तन, बाल्टी, वाहनों के टायर्स, जल शीतलक (वाटर कूलर), पालतू जीव-जंतुओं के पानी पीने के बर्तन और फूलदान शामिल हैं।
➡सुनिश्चित करें कि सप्ताह में कम से कम एक बार उन्हें अवश्य साफ़ किया जाये।
➡अपने आसपास के परिवेश में धुआं या कीटनाशकों के छिड़काव का उपयोग करें।

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