गुजरात के कच्छ में बीते दिन भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने के दौरान राजधानी लखनऊ के एयर कमोडोर संजय चौहान शाहिद हो गये. इस खबर के बाद परिजनों सहित उनके गाँव मैनपुरी में शोक का माहौल हैं. 

मैनपुरी में शोक: 

गुजरात के जामनगर में जगुआर विमान की उड़ान के दौरान हुए हादसे में मंगलवार को एयर कमोडोर संजय चौहान की मौत से पूरा मैनपुरी शोक में है। बेवर थाना क्षेत्र के गांव जासमई खास में उनकी मौत की खबर पहुंचते ही ग्रामीण शोक में डूब गए।

पूरी रात संजय चौहान की बहादुरी की चर्चा हुई। सुबह होते ही उनके आवास पर पारिवारिक सदस्यों से शोक जताने वालों की भीड़ पहुंचने लगी।

बुधवार को सुबह होते ही संजय चौहान की मौत की खबर की जानकारी पाकर ग्रामीणों की भीड़ उनके पैतृक आवास पर पहुंचने लगी। हालांकि संजय चौहान का परिवार पिछले 20 सालों से लखनऊ में रह रहा है। उनके पिता कर्नल नत्थू सिंह चौहान की बहादुरी के किस्से ग्रामीणों की जुबान पर पूरे दिन बने रहे।

शहीद को 17 तरीके के प्लेन चलने का था अनुभव: 

बता दें कि संजय को जगुआर, मिग-21, हंटर, बोइंग-737 समेत 17 तरह के विमानों को उड़ाने का अनुभव था। उन्हें राफेल, ग्रीपेन और यूरो फाइटर जैसे अत्याधुनिक विदेशी फाइटर प्लेन उड़ाने का भी अनुभव था। वे 16 दिसंबर 1989 में भारतीय वायुसेना में कमीशंड हुए थे।

इकलौते पुत्र होने के बाद भी कर्नल नत्थू सिंह ने अपने पुत्र को एयर फोर्स में भर्ती कराया। अपने काम के प्रति बेहद समर्पित रहने वाले संजय वर्तमान में एयर कमांडर बन गए थे। वायु सेना ने उन्हें एयर मार्शल के पद पर प्रोन्नति देने की तैयारी कर ली थी। लेकिन तब तक उनकी मौत की खबर आ गई।

इस खबर के बाद सीएम योगी ने भी एयर कॉमोडोर संजय चौहान को श्रद्धांजली देते हुए उनके निधन पर शोक व्यक्त किया हैं.

कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी:

इस दुर्घटना पर रक्षा प्रवक्ता ले. कर्नल मनीष ओझा का कहना है, ‘जगुआर विमान नियमित प्रशिक्षण उड़ान पर था। दुर्घटना के कारणों की जांच के लिए कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी के आदेश दे दिए गए हैं।

गुजरात: भारतीय वायुसेना का लड़ाकू विमान क्रैश, पायलट शहीद

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