सीएम योगी द्वारा निलंबित किये गए डीएम फतेहपुर की पहली पोस्टिंग जिलाधिकारी के रूप में चंदौली हुई थी. एक साल से अधिक समय तक चंदौली में तैनार रहे डीएम कुमार प्रशांत ने चंदौली में पीएम मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट स्वच्छ भारत मिशन के तहत बनने वाले शौचालय निर्माण में लगभग 60 लाख का घोटाला किया था. डीएम चंदौली बनने से पहले कुमार प्रशांत लम्बे समय तक गोरखपुर में CDO के पद पर तैनात रहे. मूल रूप से मऊ जिले के निवासी है कुमार प्रशांत.

फतेहपुर डीएम के पद से आज ही हुए बर्खास्त:

खबर चंदौली से है, यहाँ शौचालय निर्माण में करोड़ों का घोटाला सामने आया है. जिससे जिला प्रशासन में खलबली मच गई है. जिले के दो ब्लॉक के पांच गावों में शुरूआती चरण की जांच में ही 56,40,000 का घोटाला पकड़ा गया है.

Fatehpur suspended DM's pm toilet scam over 60 lakh

जबकि चहनिया ब्लॉक के 4 गांव में शौचालय निर्माण में मानक से अधिक भेजी गई लगभग 88 से लाखों रुपए की धनराशि जिला प्रशासन द्वारा वापस ले ली गई है.

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इस पूरे मामले में दोनों ब्लॉक के तीन ग्राम विकास अधिकारियों(सेक्रेटरी) को सस्पेंड कर दिया गया है. यही नहीं तीनों ग्राम विकास अधिकारियों सहित पांचो गावों के प्रधान के खिलाफ FIR दर्ज करने के लिए जिला पंचायत राज अधिकारी द्वारा DM को फाइल भेज दी गई है.

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क्या हैं मामला:

दरअसल नमामि गंगे योजना एवं गंगा एक्शन प्लान के तहत गंगा किनारे स्थित गांव में स्वच्छता और खुले में शौच मुक्त करने के लिए लिए बड़े पैमाने पर अभियान चलाया जा रहा है. इस योजना के तहत धानापुर ब्लाक के रामपुर-दिया गांव और हिंगुतरगढ़ गावं के साथ ही चहनिया ब्लाक के कैली, रौना और जमालपुर गांव में शौचालय निर्माण का कार्य चल रहा था.
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जिसमें नियमों को ताक पर रखकर 12 हजार रूपये प्रति शौचालय की धनराशि एक साथ ग्राम पंचायत के खाते में भेज दी गई. यही नहीं बड़ी बात यह है कि नियमों का उल्लंघन करते हुए शौचालय निर्माण का ठेका बिना लिखा-पढ़ी के लखनऊ के गोमती खंड स्थित डीएमआर इंफोसिस्टम नाम की प्राइवेट कंपनी को दे दिया गया था.
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5 गाँवों में 100 शौचालयों के लिए लिया गया वित्त:

मार्च 2017 से अप्रैल 2017 के बीच जिले के तत्कालीन जिलाधिकारी कुमार प्रशांत के कार्यकाल के दौरान ये बड़ा घोटाला हुआ है. धानापुर ब्लाक के रामपुर-दिया गांव में 100 शौचालयों के लिए 12 लाख रुपए, हिंगुतरगढ में 100 शौचालयों के लिए 12 लाख रुपए, वही चहनिया ब्लॉक के कैली गांव में शौचालयों के लिए 12 लाख रुपए, जमालपुर गांव में 100 शौचालयों के लिए 12लाख रूपये और रौना गांव में 70 शौचालय के लिए 8 लाख 40 हजार रुपए की धनराशि एक मुस्त अवमुक्त कर दी गई थी.
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घोटाला तब सामने आया जब वर्तमान डीपीआरओ अनिल सिंह ने 3 जून को जिले में चार्ज लिया और इसके बाद यूपी सरकार द्वारा स्वच्छता अभियान के निदेशक बनाए गए विजय किरण आनंद ने जिले का दौरा किया.
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एक भी शौचालय का नहीं हुआ निर्माण:

अधिकारियो ने इन गावों में शौचालयों की वास्तविक स्थिति जांचने का प्रयास किया गया तो सभी अधिकारियों को होश उड़ गए. क्योंकि मौके पर एक भी शौचालय का निर्माण नहीं हुआ था.
हैरान करने वाली बात ये है की चंदौली की युबीआई शाखा से 21 अप्रैल को 24 लाख रूपय, 13 अप्रैल को 24 लाख रूपय फिर 13 अप्रैल को 4 लाख 80 हजार रूपये और 27 अप्रैल को 3 लाख  रूपये डीएमआर इंफोसिस्टम कंपनी के खाते में ऑनलाइन ट्रांसफर कर दिया गया.
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अधिकारियों को लूट खसोट की इतनी जल्दी मची थी कि बिना मानक पूरा किए गांव को ओडीएफ घोषित कर दिया गया था और फर्जी एमआईएस रिपोर्ट बनाकर उत्तर प्रदेश सरकार को भेज दिया गया था।
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डीपीआरओ अनिल सिंह ने पूरे मामले की जानकारी निदेशक विजय किरन आनंद को दे दी है. साथ ही प्रथम चरण में हुए घोटाले में दोषी पांचों गांव के प्रधान और 3 ग्राम पंचायत अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के लिए फाइल जिलाधिकारी चंदौली के पास भेज दी है.
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