गांधीजी के सत्य- अहिंसा के सिद्धांतों को पूरी दुनिया ने अपनाया। हर व्यक्ति बापू को महात्मा कहता है । पर क्या हमने कभी ये सोचने की कोशिश की के महात्मा है क्या । कहने को तो महात्मा मात्र एक शब्द है लेकिन  इसकी बुनियाद बहुत ही मज़बूत इरादों और  निस्वार्थ मन के साथ लोक हित के लिए अपनी ख़ुशी का त्याग कर सकने वाले अडिग विचारों पर रखी जाती है । हम सभी महात्मा बन तो  नही सकते पर आज गाँधी जयेंती के उपलक्ष में हम इन विचार को याद कर के इन पर चलने की की कोशिश तो कर ही सकते हैं ।

 बापू के कुछ अनमोल विचार जो जीवन के साथ साथ व्यक्तित्व को भी बदल सकते हैं 

  • यदि मनुष्य सीखना चाहे, तो उसकी हर भूल उसे कुछ शिक्षा दे सकती है ।
  • भूल करने में पाप तो है ही, परन्तु उसे छुपाने में उससे भी बड़ा पाप है ।
  • किसी भी काम को या तो प्रेम से करें या उसे कभी करें ही नहीं  ।
  • काम की अधिकता ही नहीं, अनियमितता भी आदमी को मार डालती है ।
  • लम्बे-लम्बे भाषणों से कहीं अधिक मूल्यवान है इंच भर कदम बढ़ाना ।
  • पुस्तकों का मूल्य रत्नों से भी अधिक है, क्योंकि पुस्तकें अन्तःकरण को उज्ज्वल करती हैं ।
  • जो समय बचाते हैं, वे धन बचाते हैं और बचाया हुआ धन, कमाए हुए धन के बराबर होता है ।
  • अपनी गलती को स्वीकारना झाड़ू लगाने के सामान है जो धरातल की सतह को चमकदार और साफ कर देती है ।
  • अक्लमंद काम करने से पहले सोचता है और मूर्ख काम करने के बाद  ।
  • जब तक गलती करने की स्वतंत्रता ना हो तब तक स्वतंत्रता का कोई अर्थ नहीं है ।

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