श्रावस्ती जनपद के बीचों बीच राप्ती नदी बहती है जो हर साल बरसात के समय अपने साथ लाती है बेहद खतरनाक तबाही। जिसकी चपेट में आकर सैकड़ों लोग बुरी तरह प्रभावित होते हैं। इसमें जहाँ कई लोगों की जान चली जाती है। तो कहीं सैकड़ों बीघा खेती की जमीन नदी में समा जाती है.
इतना ही नहीं क्षेत्र में पूरे पूरे घर ही नदी में समा जाते हैं। विकास खण्ड इकौना के ककरा घाट पर ग्रामीण पक्के पुल की वर्षों से मांग कर रहे हैं,परन्तु उनको आज तक सिर्फ वादों के सिवा कुछ नहीं मिला.
उनकी इस मूलभूत जरूरत को पूरा नहीं किया जा रहा जिसके चलते ग्रामीणों ने इस बार चुनाव का बहिष्कार करने का निर्णय लिया हैं.

बरसात होते ही टूट जाता है कच्चा पुल:

जिले के विकास खंड इकौना इलाके के ककरा घाट पर  पक्के पुल की मांग को लेकर आसपास के दर्जनों गांवों के ग्रामीणों ने एक मुहिम शुरू कर दी है।
सोशल मीडिया के माध्यम से इलाके के युवावों ने संघर्ष शुरू कर दिया है। इकौना से लक्ष्मणपुर सिरसिया जाने वाले मार्ग के ककरा घाट पर आज़ादी के बाद से ही ग्रामीण पक्के पुल की मांग कर रहे हैं परन्तु यह मुद्दा सिर्फ चुनावी मुद्दा बनकर रह गया है.
यहां के लोगों का कहना है कि हमारी पीढियां तो गुजर गई परन्तु आने वाली पीढ़ी को शायद हम लोगों के संघर्ष से राहत मिल जाये।
यहां पर बहने वाली राप्ती नदी पर ग्रामीण जैसे तैसे लकड़ी औऱ घास पूस से 4 माह के लिए तो कच्चा पुल बना लेते हैं लेकिन बरसात शुरू होते ही जब जलस्तर बढ़ता है तो यह पुल टूट जाता है और ग्रामीण नांव आदि के सहारे से नदी पार कर बीमारों का उपचार, खाने की जरूरी सामान की खरीददारी आदि के लिए इकौना कस्बा पहुंच पाते हैं।

दो महीने का दिया अल्टीमेटम:

वही ग्रामीण युवाओ ने ये फैसला किया है कि वो अपनी समस्या दोबारा से शासन प्रशासन से लेकर विद्यायक सांसद तक पहुचायेंगे और अगर दो महीने के अंदर शासन कोई ठोस निर्णय नही लेता है तो सभी ग्रामीण भूख हड़ताल पर बैठेंगे। उन्होंने कहा कि, “हम ब्लॉक मुख्यालय या जिला मुख्यालय से कटे हुये है।
इसके अलावा उन्होंने कहा कि 2019 के चुनाव में इधर के जितने भी मतदाता है, हम सभी चुनाव का बहिष्कार करेंगे। हम वोट नही देंगे. ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि “नेता जीतने के बाद नेता 5 साल तक पूछने नही आते हैं.”
उन्होंने ये भी कहा कि किसी महिला की डिलेवरी हो, बुजुर्ग सहित किसी को अन्य परेशानी हो, समय से ना जा पाने के कारण वो रास्ते मे ही दम तोड़ देता है परन्तु अस्पताल नही पहुँच पाता।
मीडिया के माध्यम से ग्रामीणों ने सरकार से ये सवाल पूछा है कि आखिर यहाँ पुल निर्माण कब तक होगा?

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