उत्तर प्रदेश के हरदोई जिला में साहब देखो गजब हो गया। ब्लाक भरावन की ग्राम पंचायत बीरपुर के मजरे कौड़िया में एक ही व्यक्ति की दो बार मौत हुई। कहने में यह बात कुछ अजब लग रही होगी। लेकिन यह गजब किसी और ने नहीं बल्कि ग्राम कौड़िया सचिव ने बाकायदा दो बार मौत का सार्टीफिकेट जारी करते हुए किया है। अब जब न्यायालय में पेंच फंसा तो मामला उजागर हो गया। हालांकि बीडीओ एक प्रमाणपत्र को फर्जी मान रहे लेकिन कार्रवाई करने में हिचक रहे।

ब्लाक भरावन की ग्राम पंचायत कौड़िया निवासी महिला जागेश्वरी पत्नी लल्लू ने जानकारी देते हुए बताया कि उसके ससुर सेखचिल्ली की मौत 27 अगस्त सन् 1993 मे हो गयी थी। तत्कालीन ग्राम पंचायत अधिकारी ने सन् 1993 मे मौत होने का सर्टीफिकेट मृत्यु प्रमाण पत्र देकर जारी कर किया था। दरअसल सेखचिल्ली की मौत के बाद उसकी 42 बीघा जमीन सेखचिल्ली के इकलौते पुत्र लल्लू के नाम आ गयी। महिला ने बताया कि उसके ससुर सेखचिल्ली की मौत के बाद गांव के बिरजू (अब मृतक) ने फर्जी तरीके से सेखचिल्ली का वसीयत नामा बनाकर जमीन पर अपना हक जताते हुए जनबल से जबरिया कब्जा कर लिया।

तभी विर्जू ने दूसरा मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाया। तत्कालीन ग्राम पंचायत अधिकारी ने दिनांक 20 फरवरी सन् 1994 मे सेखचिल्ली का दूसरा मृत्यु प्रमाण पत्र जारी कर दिया। जमीनी विवाद अदालत मे पहुंच गया। एक ही ब्यक्ति की दो बार मौत का सार्टीफिकेट देखकर अदालत मे पेंच फंस गया। अदालत का पेंच फंसते ही ब्लाक से लेकर आला अधिकारियों तक के कान खड़े हो गये। मामला जिले के आला अफसर (डीएम) तक पहुंच गया। डीएम ने ब्लाक से रिपोर्ट मांग लिया। तब ब्लाक के अधिकारी लीपापोती मे लग गये जो आज भी दबाये पड़े हैं।

दबाये जाने का मामला प्रकाश मे तब आया जब पीड़ित महिला जागेश्वरी सेखचिल्ली के परिवार रजिस्टर की नकल लेने के लिए ब्लाक के चक्कर लगाते लगाते परेशान हो गयी। पीड़ित महिला कहती है कि एक ही ब्यक्ति का दो बार मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने की गलती ब्लाक के ग्राम पंचायत अधिकारी और जारी करने का आदेश देने वाले खण्ड विकास अधिकारी ने किया है जो ब्लाक के जिम्मेदार अधिकारी माने जाते हैं। लेकिन उसकी सजा हमको परिवार रजिस्टर की नकल लेने के लिए लगातार पांच वर्षों से टाला बाला बताकर परेशान किया जा रहा है।

महिला कहती है कि पांच वर्षों मे ब्लाक से लेकर तहसील और जिले के आला अधिकारियों की चौखट पर अर्जी लगायी लेकिन विपक्षी घूस देकर मामला दबाते गये। न्याय की आस मे मैं अभी हारी नही हूं। महिला ने हाल के दिनो मे 15 नवम्बर 2017 को एसडीएम सण्डीला से शिकायत किया। एसडीएम ने खण्ड विकास अधिकारी को आवश्यक कार्रवाई करने का आदेश दिया, लेकिन हुआ कुछ नहीं। 18 जनवरी 2018 को डीएम से पुनः शिकायत किया।

डीएम की मांगी रिपोर्ट मे तत्कालीन ग्राम पंचायत अधिकारी ने आख्या लगा दिया कि गांव मे खुली बैठक करायी गयी ग्रामीण सेखचिल्ली की मौत 27 अगस्त 1993 बता रहे हैं लेकिन परिवार रजिस्टर मे मृत्यु 20 फरवरी 1994 दिखायी गयी है। महिला ने बताया कि ब्लाक पर सिकरेटरी अपनी सुविधा के लिए प्राईवेट कर्मचारी सरकारी लिखापढ़ी करने के लिए लगा रखा है जो अवैध वसूली करके फर्जी कार्य कर देते है। सिकरेटरी घूस लेकर आंख बन्द करके दस्तखत कर देते हैं।

इस मामले में अधिकारीयों की भी अपनी-अपनी जुबानी है। ग्राम पंचायत अधिकारी मोती लाल बताते है कि बीरपुर मे एक ही ब्यक्ति का अलग अलग तारीखों मे दो मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने का मामला अभी फंसा पड़ा है जो हमारे कार्यकाल का नहीं है अब ऐसे में खण्ड विकास अधिकारी अजीत सिंह का कहना है कि एक मृत्यु प्रमाण पत्र फर्जी है। जिसमें ओवर राइटिंग है। महिला परिवार रजिस्टर लेना नहीं चाहती है। जमीनी विवाद के चक्कर मे फर्जी तरीके से बनाया गया है।

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