प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में बीते मई महीने में दर्जनों जिंदगियां लील लेने वाले निर्माणाधीन फ्लाईओवर हादसे के बाद 2 महीने से ज्यादा समय बीत जाने पर भी अभी तक प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ और उनकी अगुआई में चल रही सूबे की बीजेपी सरकार अब तक महज दुःख जताने, हादसे की जांच के लिए विभिन्न जांच समितियां गठित करने, कुछेक लोकसेवकों को निलंबित करने जैसे दिखावटी उपक्रम करने तक ही सीमित रहे हैं और अभी तक इस मामले में न तो कोई जांच पूरी हो पाई है, न हादसे के लिए उत्तरदायित्व का निर्धारण हो पाया है और न ही अभी तक हादसे के लिए जिम्मेवार लोकसेवकों, कंपनियों और ठेकेदारों के नाम ही चिन्हित किये जा सके हैं और अब तक न ही कोई दोषी जेल ही भेजा गया है।

सवा 2 किलोमीटर लम्बे पुल की 130 करोड़ की कुल लागत

रूपया 130 करोड़ की कुल लागत वाले सवा 2 किलोमीटर लम्बे इस पुल के लिए 95 करोड़ रुपये जनता के खजाने से खर्चे जा चुके हैं। लेकिन बीजेपी सरकार पुल बनाने के काम में लगे ठेकेदारों के नाम सार्वजनिक करने के नाम पर बगलें झांकती नज़र आ रही है और आरटीआई में गोल-मोल जबाब दे रही है। और तो और सरकारी तंत्र की संवेदनहीनता का आलम यह है कि शासन से लेकर सेतु निगम तक किसी को भी हादसे में मारे गए व्यक्तियों की संख्या और उनको दिए गए सरकारी मुआवजे या पुल बनाने वाले ठेकेदारों द्वारा दिए गए मुआवजे की कोई भी जानकारी नहीं है।

उत्तर प्रदेश राज्य सेतु निगम के पास अभी तक नहीं पहुंच पाया आदेश

इस सम्बन्ध में सूचना केवल जिला प्रशासन के ही पास होने की बात सरकार द्वारा आरटीआई जबाब में कही जा रही है। मजेदार बात यह भी है कि पुल हादसे की जांच के लिए योगी आदित्यनाथ द्वारा खुद पहल करके शासन स्तर से जांच के लिए गठित की गई जांच कमेटी के गठन का आदेश अभी तक उत्तर प्रदेश राज्य सेतु निगम के पास नहीं पंहुच पाया है। हालाँकि शासन स्तर पर गठित कमेटी की जांच पूरी हो गई है। परन्तु इस कमेटी ने जांच के नाम पर महज खानापूर्ति ही की है। यह कमेटी पुल हादसे के किसी भी दोषी का नाम सामने लाने में नाकामयाब रही है। बनारस पुल हादसे के वारे में ये चौंकाने वाले खुलासे यूपी की राजधानी स्थित सामाजिक संस्था ‘तहरीर’ के राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय शर्मा द्वारा बीते जून माह में यूपी के मुख्य सचिव कार्यालय में दायर की गई एक आरटीआई पर उत्तर प्रदेश राज्य सेतु निगम लिमिटेड के परियोजना प्रबंधक संदीप गुप्ता द्वारा बीती 9 जुलाई को दिए गए जबाब से हुए हैं।

पीएम मोदी का वाराणसी को क्योटो बनाने का वादा

आरटीआई एक्टिविस्ट संजय शर्मा कहते हैं कि यह हाल उस जिले में हुए हादसे का है जिसे क्योटो बनाने का वादा पीएम मोदी लम्बे समय से करते आये हैं। जब तब विदेशी मेहमानों के साथ भारी ताम-झाम के साथ बनारस आते रहते हैं। तो छोटी-मोटी जगहों पर होने वाले हादसों में हालिया सरकारी तंत्र की उदासीनता का अंदाजा कोई भी आसानी से लगा सकता है।

टीवी चैनलों के सामने दहाड़ मारकर दिए थे बयान

संजय शर्मा का कहना है कि हादसे के बाद योगी आदित्यनाथ और उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने हादसे के जिम्मेवार किसी भी दोषी को बख्शे न जाने के वादे टीवी कैमरों के सामने दहाड़ मार-मार कर किये थे, पर संदीप गुप्ता का यह जबाब सूबे के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के वादों को झूंठा साबित कर रहा है।

पीएमओ से दोषियों पर कार्रवाई की गुहार

संजय ने बताया कि उनका मानना है कि दोषियों को शीघ्रता से कड़ा दण्ड देने से दुर्घटना के शिकार लोगों की आत्मा को शांति मिलने के साथ-साथ भविष्य में ऐसे हादसे रोकने के लिए जिम्मेवार लोगों में डर आने से ऐसे हादसे रोकने में मदद मिलेगी। अतः अब वे दुर्घटना के बाद इस घटना पर दुख जताते हुए ट्वीट करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर जल्द से जल्द पुल हादसे के दोषियों को चिन्हित कराकर दण्डित कराने के लिए PMO के स्तर से प्रयास करने की गुहार लगाने जा रहे है।

Varanasi flyover accident RTI
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