हाल ही में मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों के बचाव के लिए एक साथ तीन तलाक के क़ानून में बदलाव के तहत केंद्र सरकार ने कड़ा रुख अपनाया है जिसपर उन्हें सराहना के साथ ही सवालों का भी सामना करना पड़ रहा है।

महिलाओं ने सरकार के रुख को सराहा :

  • हाल ही में मुस्लिम समाज में एक साथ तीन तलाक, ‘निकाह हलाला’ और बहुविवाह प्रथा का विरोध किया गया था।
  • यह विरोध केंद्र सरकार द्वारा मुस्लिम महिलाओं के अधिकारो के बचाव हेतु सुप्रीम कोर्ट में किया गया था।
  • देश के प्रमुख मुस्लिम महिला अधिकार कार्यकर्ताओं ने मोदी सरकार के इस रूख की सराहना की है।
  • साथ ही इसे मुस्लिम महिलाओं को उनका अधिकार दिलाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बताया है।
  • हालांकि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड सहित कुछ प्रमुख मुस्लिम संगठनों ने इसपर सवाल खड़े किए हैं।
  • आपको बता दें कि विधि एवं न्याय मंत्रालय ने बीते दिनों देश की सर्वोच्च अदालत के समक्ष एक याचना दायर की थी।
  • इस याचना में लैंगिक समानता, धर्मनिरपेक्षता, अंतरराष्ट्रीय समझौते जैसे विषय उठाये गये थे।
  • इसके साथ ही धार्मिक व्यवहारों और विभिन्न इस्लामी देशों में वैवाहिक कानून का जिक्र भी किया गया था।
  • आपको बता दें कि एक साथ तीन तलाक की व्यवस्था के खिलाफ लंबे समय से मुहिम चल रही है।
  • इस मुहिम को चला रहे संगठन भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन ने सरकार के कड़े रुख का स्वागत किया है।
  • इसके साथ ही उनका कहना है कि हमें सरकार से इसी तरह के रूख की उम्मीद थी।
  • उन्होंने कहा कि अब तक जिम्मेदार मुस्लिम संगठन मुस्लिम महिलाओं को उनका हक नहीं दे पाए।
  • इसलिए वे सरकार और अदालत से ही उम्मीद कर रहे हैं।
  • बताया जा रहा है कि संगठन केवल शादी से जुड़ी व्यवस्था में बदलाव चाहता है।
  • उनके अनुसार उनकी समान आचार संहिता की कोई मांग नहीं है।
  • कार्यकर्ताओं के अनुसार सरकार के हलफनामें में ज्यादातर वही बातें हैं जो कुरान के मुताबिक हैं।
  • इसके साथ ही महिलायें इन्ही बातों की लंबे समय से मांग महिलाएं करती आ रही हैं।

पर्सनल लॉ बोर्ड ने उठाये सवाल :

  • जहाँ एक ओर महिलाओं ने सरकार के रुख का समर्थन किया है।
  • वहीं दूसरी तरफ मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इस हलफनामे को लेकर सरकार की मंशा पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
  • उनके अनुसार सरकार का इरादा महिला अधिकार नहीं, बल्कि सियासी फायदा उठाना है।
  • बोर्ड की तरफ से सरकार को पत्र लिखा गया था कि हलफनामा दायर करने से पहले उनका पक्ष सुना जाए।
  • बोर्ड के अनुसार वे सरकार के साथ टकराव नहीं चाहते।
  • परंतु सरकार अगर एकतरफा फैसला करेगी तो लोगों की प्रतिक्रिया होना स्वाभाविक है।
  • बता दें कि मुस्लिम लॉ बोर्ड अदालत में अपना पक्ष रखेंगा।
  • जिसके बाद उसे अपने पक्ष में फैसला आने की उम्मीद है।

 

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