2019 के लोकसभा चुनावों की समाजवादी पार्टी ने तैयारी शुरू कर दी है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पार्टी पदाधिकारियों के साथ चुनावी रणनीति बनाना शुरू कर दिया है। इसके साथ ही अखिलेश यादव खुद भी कन्नौज से लोकसभा चुनाव लड़ने जा रहे हैं। इसके अलावा सपा परिवार के वरिष्ठ सदस्य और राष्ट्रीय महासचिव रामगोपाल यादव भी संभल से चुनाव लड़ सकते हैं। इस बीच संभल से समाजवादी पार्टी के एक बड़े नेता ने रामगोपाल की मुश्किलें बढ़ाने की तैयारी कर ली है।

बढ़ सकती हैं रामगोपाल की मुश्किलें :

शिवपाल यादव के सेक्युलर मोर्चा बनाने के बाद पार्टी के कई बड़े नेता टिकट न मिलता देख सेक्युलर मोर्चे से दोस्ती बढ़ा रहे हैं। इसी में मुरादाबाद व संभल से सांसद रह चुके डा. शाफिकुर्रह्मान बर्क का नाम भी शामिल हैं जो संभल के साथ साथ मुरादाबाद से भी टिकट की दावेदारी ठोंक रहे हैं। डॉ बर्क सपा के लिए मुश्किलें पैदा कर सकते हैं क्योंकि उन्हें विधान सभा चुनावों में टिकट नहीं दिया गया था जिसमें वे अपने पोते को लड़ाना चाहते थे। इस बार संभल से राज्य सभा सांसद प्रोफेसर रामगोपाल यादव के नाम की चर्चा है। रामगोपाल यादव पहले भी संभल से सांसद रह चुके हैं। ऐसे में डा. बर्क टिकट न मिलने पर सेक्युलर मोर्चा से चुनाव लड़ सकते हैं।

मिलेगी बड़ी चुनौती :

रामगोपाल के उतरने से सपा के लिए चुनौती बढ़ गयी है क्यूंकि अगर महागठबंधन हुआ तो मुरादाबाद सीट कांग्रेस के खाते में जाएगी। ऐसे में शाफिकुर्रह्मान बर्क को फिर से मौक़ा नहीं मिलेगा। अगर उन्हें संभल से पार्टी ने नहीं लड़ाया तो वे शिवपाल के मोर्चे से ताल ठोंकेगे। उन्हें स्थानीय स्तर पर बेहद मजबूत नेता माना जाता है। न सिर्फ मुस्लिमों बल्कि उनकी पकड़ दूसरे समुदाय में भी खूब है। ऐसे में उनकी नाराजगी अखिलेश और महागठबंधन को भारी पड़ सकती है।

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