लखनऊ महोत्सव इस साल स्मृति उपवन में दस दिन तक चलेगा। यह महोत्सव ‘अटल संस्कृति-अटल विरासत’ को समर्पित है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अटल ज्योति प्रज्ज्वलित कर रविवार शाम को इसका उद्‌घाटन किया और इसके बाद महोत्सव में ग्रामीण परिवेश में बने ‘अटल ग्राम’ का भी जायजा लिया। सीएम ने कहा कि महोत्सव वह है, जो इसके उद्देश्यों को पूरा करे। कलाकारों को बुलाकर औपचारिकता पूरी करना महोत्सव नहीं है। यह हमारी विरासत की जड़ों को जोड़ने का उत्सव है। गौरवशाली परंपराओं, प्रेरणाओं और लोगों के उद्देश्यों को पूरा करने का मंच है। सबसे महत्वपूर्ण है कि महोत्सव अटल जी की कर्मभूमि में हो रहा है। उन्होंने लखनऊ के विकास के साथ उसे अंतरराष्ट्रीय क्षितिज पर पहुंचाने में भी योगदान दिया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि लखनऊ का दस हजार साल का गौरवशाली इतिहास है। यहां किसी जाति के साथ भेदभाव नहीं किया गया। जो लखनऊ आया, यहीं का हो गया। यह सिर्फ चिकनकारी ही नहीं, स्वच्छता का भी प्रतीक बने। उन्होंने कहा कि शासन में बहुत से निर्णय लिए गए, जिन्हें लखनऊ में लागू करने की जरूरत है। उद्‌घाटन के दौरान सीएम ने महोत्सव समिति को बधाई दी और डीएम कौशलराज को प्रतीक चिह्न देकर सम्मानित किया। इस दौरान विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित, कैबिनेट मंत्री आशुतोष टंडन, प्रो. रीता बहुगुणा जोशी, ब्रजेश पाठक, प्रमुख सचिव अवनीश अवस्थी, कमिश्नर अनिल गर्ग और क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी आरपी यादव समेत अफसर मौजूद रहे।

[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]कितना रक्त पीयेगी जीभ थक नहीं जाती… [/penci_blockquote]
हे कुरुक्षेत्र की धरती! तुझको नींद नहीं आती। कितना रक्त पीयेगी जीभ थक नहीं जाती। तू सो जा तेरी व्याकुलता कुछ कम होगी। रक्त पीने की आतुरता कुछ कम होगी। ऐसे ही लयबद्ध डायलॉग और संगीत के साथ महोत्सव के पहले दिन चक्रव्यूह नृत्य नाटिका पेश की गई। इसके जरिए महाभारत युद्ध की विभीषिका दिखाने के साथ यह संदेश दिया गया कि यह संसार एक चक्रव्यूह है। अभिमन्यु की तरह हर इंसान इसमें फंसा है। घर, परिवार, समाज, नौकरी, रिश्तों और ऐसे ही तमाम सरोकारों में हम फंसे रहते हैं, जिससे उबरने की कोशिश नहीं छोड़नी चाहिए।

चर्चित धारावाहिक महाभारत में कृष्ण की भूमिका निभाने वाले नीतिश भारद्वाज यहां भी उसी रूप में नजर आए। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी नाटक के शुरुआती दृश्य देखे और उन्हें सराहा। अतुल सत्य कौशिक के निर्देशन में हुए नाटक में कलाकारों ने भीष्म पितामह को बाण लगने, चक्रव्यूह में फंसे अभिमन्यु का द्वंद्व और कौशल के दृश्य दिखाए। इस दौरान अभिमन्यु का किरदार साहिल छाबड़ा, दुर्योधन का भानु प्रताप सिंह, युद्धिष्ठर का भरत शर्मा और उत्तरा का किरदार सुष्मिता मेहता ने निभाया।

[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]अटल ग्राम में सेल्फी लेने की होड़ लगी [/penci_blockquote]
महोत्सव के पहले दिन अटल दीर्घा और अटल ग्राम सबसे ज्यादा गुलजार रहे। अटल दीर्घा में लोग ऑडियो-विडियो के के जरिए पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी की की साहित्यिक और राजनैतिक यात्रा से रुबरू हुए। यहां उनके संपादन में निकलने वाली पत्रिकाएं, दुर्लभ चित्र प्रदर्शित किए गए और भाषण भी सुनाए गए। वही, ग्रामीण परिवेश में बने अटल ग्राम में ग्रामीण परिवेश को जानने और सेल्फी लेने की होड़ लगी रही।

[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]स्वर्णिम चतुर्भुज और करगिल युद्ध का सेल्फी पॉइंट[/penci_blockquote]
महोत्सव के पहले दिन रविवार और प्रवेश नि:शुल्क होने के कारण खूब लोग आए। शाम होने तक भीड़ और बढ़ गई। लोगों ने देर रात तक फूड जोन में अलग-अलग जायकों का लुत्फ उठाया। महोत्सव में स्वर्णिम चतुर्भुज और करगिल युद्ध पर बने सेल्फी पॉइंट आकर्षण का केंद्र रहे। यहां लोगों ने खूब सेल्फी ली। वहीं, खुर्जा, सहारनपुर और पंजाब से आए टेराकोटा और ब्लू पॉटरी वर्क क्रॉकरी खरीदने के लिए भी भीड़ लगी रही।

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