यूपी में 37 फीसदी दागी विधायकों के बाद भी साफ- सुथरी है बीजेपी की सरकार !

आज कल हर जगह क्राइम हो रहा है। हर प्रकार का क्राइम हो रहा है। चाहे वो साइबर क्राइम हो या मर्डर। ये अपराध किसी स्पेशल गैंग में नहीं बल्की सत्ता में चल रहा है।  सत्ता में ऐसा कई नेता हैं जो अपराध के लिस्ट में शामिल हैं। लेकिन एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) और उत्तर प्रदेश इलेक्शन वॉच की एक संयुक्त रिपोर्ट कहती है कि जिन विधायकों पर यह उम्मीद पूरी करने की जिम्मेदारी डाली गई है। उनमें से एक तिहाई से ज्यादा दागी हैं। इस रिपोर्ट के मुताबिक 403 विधायकों में से 143 यानी 36 फीसदी पर आपराधिक मामले दर्ज हैं। इनमें से 107 यानी 26 फीसदी पर हत्या, हत्या की कोशिश या अपहरण जैसे गंभीर आरोप दर्ज हैं। हालांकि 2012 के चुनाव में जीतकर आए 47 फीसदी यानी 189 विधायकों पर आपराधिक मामले दर्ज थे। वहीं 24 फीसदी यानी 98 विधायक गंभीर आरोपों का सामना कर रहे थे।
  • एडीआर और उत्तर प्रदेश इलेक्शन वॉच की ये रिपोर्ट
  • चुनाव लड़ रहे प्रत्याशियों की ओर से चुनाव आयोग को सौंपे जाने वाले शपथपत्र के आधार पर तैयार की गई।
  • राजनीतिक लिहाज से देश के सबसे अहम सूबे उत्तर प्रदेश में दरकार बनाने वाली भाजपा पर है  सबकी नजरें।
  • बीजेपी से केवल वायदों व दावो के चलते खोखलेपन का अहसास होते ही यूपी की जनता  अब नई सरकार पर गडाये है नजरे
  • जाहिर है कि प्रचंड बहुमत से सत्ता में आई भाजपा सरकार से लोगों को बेहतर शासन-प्रशासन की उम्मीद।
  • हर पार्टी में मौजूद हैं अपराधी, और इनके अपराध कोई छोटे मोटे नहीं।
  • पार्टी में मौजूद विधायकों के खिलाफ हत्या, लूट, डकैत, बलात्कार जैसे गंभीर आपराधिक मामले है दर्ज।
बीजेपी पार्टी में है सबसे ज्यादा दागी विधायक
राज्य में भाजपा 312 सीटें जीत सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने चुनाव अभियान के दौरान सूबे में साफ- सुथरी सरकार देने का दावा करती नजर आयी या दावा किया था। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने चुनाव प्रचार के दौरान आजमगढ़ में कहा था, ‘उत्तर प्रदेश की जनता को सपा सरकार को उखाड़ फेंकना चाहिए और साफ-सुथरी छवि वाली भाजपा को मौका देना चाहिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी लखनऊ में कहा था, ‘हमें अवसर दीजिए। हम आपसे वादा करते हैं कि हम गुंडागर्दी खत्म करके रहेंगे।’ हालांकि एडीआर की रिपोर्ट भाजपा के इन वादों को गलत साबित करती है। भाजपा के कुल 114 यानी 37 फीसदी विधायकों पर आपराधिक मामले हैं। इसके बाद सपा के 36 में से 14 यानी 30 फीसदी, बसपा के 19 में से पांच यानी 26 फीसदी विधायकों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं। इस तरह भाजपा के टिकट पर अन्य पार्टियों की तुलना में ज्यादा दागी विधायक चुनाव जीतने में सफल हुए हैं।
  • गंभीर आपराधिक मामलों का सामना कर रहे विधायकों के मामले में भी भाजपा  है अव्वल।
  • बीजेपी पार्टी के 83 (27 फीसदी) विधायकों पर है ऐसे मामले दर्ज।
  • अन्य पार्टियों में सपा के 11 (24 फीसदी)विधायकों पर ही चल रहे हैं ऐसे गंभीर आपराधिक मामले ।
  • बसपा के चार (21 फीसदी) विधायकों पर ही चल रहे हैं ऐसे गंभीर आपराधिक मामले ।
  • कांग्रेस के सात में से एक और तीन निर्दलीय विधायकों पर भी है दर्ज गंभीर आपराधिक मामले।
80 फीसदी करोड़पति है युवा विधायक, बसपा के विधायक सबसे ज्यादा अमीर
राज्य के नवनिर्वाचित विधायकों में से 322 यानी 80 फीसदी करोड़पति हैं। पिछली विधानसभा यानी 2012 में यह आंकड़ा महज 271 (67 फीसदी) था। इस रिपोर्ट के मुताबिक 10 करोड़ रुपये से अधिक संपत्ति वाले विधायकों की संख्या इस बार 61 (15 फीसदी) है। वहीं 80 (20 फीसदी) विधायकों ने अपनी संपत्ति एक करोड़ रुपये से कम बताई है। रिपोर्ट के मुताबिक नए विधायकों की औसत संपत्ति 5.92 करोड़ रुपये है। पिछली विधानसभा में यह आंकड़ा सिर्फ 3.36 करोड़ रुपये था।
दलवार देखें
  • भाजपा में 246 विधायक (79 फीसदी) करोड़पति हैं
  • करोड़पति की श्रेणी में आते हैं सपा के 39 (85 फीसदी)
  • श्रेणी में आते हैं बसपा के 19 में से 18 (95 फीसदी)
  • करोड़पति की श्रेणी में आते हैं कांग्रेस के सात में से पांच विधायक ।
  • बसपा के विधायकों की औसत संपत्ति अन्य पार्टियों की तुलना में सबसे ज्यादा 17.84 करोड़ रुपये।
  • सपा के विधायकों की औसत संपत्ति 5.84 करोड़ रु और और भाजपा के विधायकों की 5.07 करोड़ रुपये पाई गई।
 दागी नेताओ के मामले में कार्यवाही के नाम पर होती है केवल खाना पूर्ति
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद हमने जब हर राज्य के दागी नेताओं की छानबीन की तो बड़े ही चौंकाने वाले आंकड़े मिले। कुछ राज्यों में तो 72 फीसदी विधायकों के खिलाफ कोई ना कोई आपराधिक मामले चल रहे हैं।
बे- दाग वाली लिस्ट में केवल मणिपुर
दागी विधायकों के मामले में मणिपुर ही एकमात्र राज्य ऐसा है जो बिल्कुल बेदाग है। यहां एक भी विधायक ऐसा नहीं है जिसके के खिलाफ कोई आपराधिक मामला चल रहा हो। इस प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है।
आपराधिक मामलों में दोषी ठहराए जाने नेताओ के लिए चुनाव  न लड पाने का हो कनून
आपराधिक मामलों में दोषी करार दिए गए नेता आगे चुनाव न लड़ पाएं इसके लिए बने सख्त कानून का प्रावधान। ध्यान हो कि जनप्रतिनिधि अधिनियम की धारा 8(3) में कहा गया है कि अगर किसी आपराधिक मामले में किसी को दो वर्ष कैद से अधिक की सजा होती है तो वह अगले छह वर्ष तक चुनाव नहीं लड़ पाए। यही नही अगर नियम सख्त हो तो इसमें तो आपराधिक मामले में दोषी ठहराए जाने वाले नेताओं पर आजीवन चुनाव लडने पर पाबंदी लगा देनी चाहिए। वही अगर किसी सरकारी अधिकारी आपराधिक मामले में दोषी ठहराया जाता है तो उसकी सेवा ताउम्र के लिए खत्म हो जाती है। वही एक विचारधीन बिंदु यह भी है कि दागी सांसद व विधायकों के खिलाफ दर्ज आपराधिक मुकदमे से निपटने के लिए स्पेशल कोर्ट बनाने से बेहतर यह होगा कि हर जिले में एक सत्र न्यायालय और एक मजिस्ट्रेट कोर्ट को विशेष तौर ऐसे मामलों के निपटारे लिए सूचीबद्ध कर दिया जाए।
  • हालांकि कोर्ट ने इस मसले को बताया गंभीर ।
  • ऐसे में नेताओं को प्राथमिकता क्यों नही होनी चाहिए?
  • सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश का क्या हुआ ?
  • जिसमें दागी नेताओं के खिलाफ दर्ज मुकदमों का निपटारा एक वर्ष में पूरा करने का दिया गया था निर्देश ।
  • पर अफसोस वह आदेश भी बाद में ठंडे बस्ते जाते बना।
  • निर्धारित समय के भीतर मुकदमे का निपटारा संभव हो सके।
  • दागी सांसद व विधायकों के खिलाफ दर्ज आपराधिक मुकदमे से निपटने के लिए स्पेशल कोर्ट बनाने की है जरूरत।

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