उत्तर प्रदेश की पुलिस को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और डीजीपी ओपी सिंह लाख कोशिश कर ले, लेकिन पुलिस के कुछ कर्मचारी अपनी हरकतों से बाज नहीं आने वाले। एसएसपी लखनऊ कलानिधि नैथानी को भी बीकेटी थाना के पुलिसकर्मियों ने ठेंगा दिखाने का काम किया है। ताजा मामला बीकेटी थाना क्षेत्र का है। यहां पुलिस पर पिटाई में घायल युवक की मौत के मामले में धाराओं में खेल करने का आरोप लगा है। पीड़ित ने आरोपियों पर पिटाई के बाद हत्या का आरोप लगाया है। बताया जा रहा है कि मारपीट की घटना में गंभीर रूप से घायल युवक की जांच में घनघोर लापरवाही पुलिसकर्मियों ने की। इसके चलते युवक की मौत भी हो गई, लेकिन पुलिसकर्मियों ने केवल एनसीआर दर्ज की। इस घटना में प्रथम सूचना रिपोर्ट तक नहीं दर्ज की। आरोप यह भी है कि पुलिस ने एनसीआर में ही फाइनल रिपोर्ट लगा दी। अब पीड़ित ने आरोपियों के खिलाफ कार्यवाही ना होने से क्षुब्ध होकर मुख्यमंत्री और एसएसपी से शिकायत की है। पीड़ित का आरोप है कि आरोपी घरवालों को खुलेआम जान से मारने की धमकी दे रहे हैं, लेकिन पुलिस कोई कार्रवाई नहीं कर रही है। पीड़ित ने एसएसपी से परिवार की सुरक्षा की गुहार लगाई है।

जानकारी के मुताबिक, मामला बख्शी का तालाब थाना क्षेत्र के नगवामऊ का है। यहां 21 जनवरी 2018 की शाम को पेड़ की डाल काटने को लेकर खूनी संघर्ष हुआ था। इस खूनी संघर्ष में आरोपी राम जीवन, रामसनेही, मुकेश, प्रवेश, राधे, गोविंद, प्रमोद ने लाठी डंडों से लैस होकर अपने पडोसी पीड़ित पक्ष चंद्रिका, श्यामकली, जितेंद्र, सुरेंद्र, रविंद्र, महेंद्र, सगुन, कोमल और पदुम को पीट पीटकर लहूलुहान कर दिया था। इस घटना में रविंद्र के सिर में गंभीर चोट लगी थी। सूचना पाकर पुलिस मौके पर पहुंची और चंद्रिका, श्यामकली, जितेंद्र, सुरेंद्र और कोमल को अस्पताल ले गई, लेकिन रविंद्र वही तड़पता रहा। पुलिस के पहुंचते ही आरोपी भाग गए और पुलिस के जाने के बाद फिर तीनों ने बेरहमी से घरवालों को पीटा। इसमें जान बचाकर पदुम मौके से भाग गया और उसने शोर मचाया। लेकिन फिर भी पुलिस रविंद्र को अस्पताल नहीं ले गई।

रविंद्र के जीजा और पदुम ने मिलकर उसे अस्पताल में भर्ती कराया। यहां सभी को प्राथमिक उपचार किया गया लेकिन रविंद्र की हालत गंभीर देखते हुए डॉक्टरों ने उसे ट्रामा सेंटर रेफर कर दिया था। ट्रामा सेंटर के आईसीयू वार्ड में पीड़ित का इलाज चला। यहां से डॉक्टरों ने 27 जनवरी को उसे डिस्चार्ज कर दिया। 28 जनवरी को पीड़ित की तबीयत खराब हो गई ।इसके बाद उसे खदरा स्थित निजी अस्पताल में भर्ती कराया लेकिन यहां हालत में सुधार ना होने के बाद 17 फरवरी 2018 को पीड़ित के सर में हुए घाव केअंदर मवाद बनने के कारण उसकी मौत हो गई। लेकिन पुलिस ने प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) तक दर्ज नहीं की सिर्फ एनसीआर में ही फाइनल रिपोर्ट लगाने का काम किया है।पीड़ित का आरोप है कि पुलिस को एफआईआर की धाराओं में 304 या 302 में केस दर्ज करना चाहिए था। लेकिन पुलिस ने एनसीआर में ही मामला खत्म कर दिया ना तो वादी के बयान कराए गए। आरोप है कि पुलिस ने अपने तरीके से मनगढ़ंत बयान बनाकर पीड़ित के केस को बंद कर दिया है। पीड़ित मुख्यमंत्री और एसएसपी से आरोपियों के विरुद्ध कार्यवाही करने की गुहार लगा रहा है। देखने वाली बात यह होगी कि क्या लापरवाह पुलिसकर्मियों पर एसएसपी कोई कार्यवाही करेंगे।

इनपुट – ज्ञानेंद्र

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