बुंदेलखंड में भीषण सूखे और बर्बाद फसल से तंग आकर लगातार किसान आत्महत्या कर रहें हैं। शुक्रवार को झाँसी में सूखे से फसल बर्बाद होने और बैंक व साहूकारों से लिए कर्ज से परेशान होकर किसान पोदल पाल (65) ने आत्महत्या कर ली। पुलिस की लापरवाही की वजह से किसान की लाश लगभग 5 घंटे तक पेड़ से झूलती रही।

  • बुंदेलखंड के सामजिक कार्यकर्ता आशीष सागर ने बताया कि पोदल पाल शुक्रवार को अपने घर से निकले थे।
  • उनके घर न लौटने पर जब घरवालों ने उनकी तलाश शुरू की तो उनकी लाश गाँव के पास एक पेड़ से लटकती मिली।
  • आशीष ने बताया कि फसल की कटाई के बाद हुए नुकसान से ही वे बेहद परेशान थे।
  • आशीष सागर ने बताया कि लाश मिलने के बाद जब पुलिस को सूचना दी गई तो पुलिस की लापरवाही की वजह से लाश पांच घंटे तक पेड़ से लटकी रही।
  • मृतक किसान के दो पुत्र हैं, जो पानीपूरी बेचकर गुजारा करते हैं।
  • आशीष ने बताया कि बुंदेलखंड में पड़े सूखे से फसल बर्बाद होने के कारण किसानों को कुछ भी लाभ नहीं मिल पा रहा है।

Severe drought in bundelkhand

  • शिव नारायण सिंह (किसान नेता, झांसी) ने बताया कि 16 अप्रैल को पोदल पाल को नातिन की शादी करवानी थी।
  • पोदल ने करीब तीन एकड़ जमीन पर गेंहू बोया था, लेकिन फसल बर्बाद होने के कारण वे पूरी तरह से टूट गए।
  • पोदल पाल ने साहूकारों से कर्ज ले रखा था, जिसे चुकाने में अब वे पूरी तरह से असमर्थ थे।
  • इसके अलावा पोदल ने किसान क्रेडिट कार्ड पर भी 50 हजार रूपये कर्ज लिया हुआ था।
  • मृतक पोदल पूरी तरह से फसल पर उम्मीद लगाये बैठे थे।
  • फसल से आने वाले पैसे ही उन्हें अपनी नातिन की शादी करनी थी और बैंक व साहूकारों का कर्जा चुकाना था।
  • लेकिन फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गई।
  • जिससे पोदल कर्ज चुकाने और नातिन की शादी करने में पूरी तरह से असमर्थ हो गए।
  • जिस कारणवश उन्होंने आत्महत्या कर ली।

बुंदेलखंड में पड़े भीषण सूखे के कारण किसानों को उनकी फसल की लागत भी वसूल नहीं हो पा रही है। जिस कारण किसान मजबूरन आत्महत्या पर उतर आये हैं। इससे पहले भी 3 अप्रैल को जौनपुर के किसान महाबीर ने फांसी लगा ली थी। इसके अलावा बर्बाद फसल को देखकर बांदा के दो किसानों की हार्ट अटैक के कारण मौत हो चुकी है।

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