उत्तर प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनाव में अब सिर पर आ चुके हैं, ऐसे में सभी राजनैतिक दल अपनी-अपनी तैयारियों में लगे हैं। आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर हर दल की अपनी-अपनी रणनीति रही है। 2017 के यूपी चुनाव में सबसे कमजोर स्थिति में कांग्रेस ही दिखाई दे रही है। यूपी की सत्ता से कांग्रेस 27 सालों से बाहर है। ऐसे में उसकी लड़ाई सबसे मुश्किल है।

2014 के बाद से घटता कद:

  • यूपी चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस सबसे कठिन परिस्थितियों से गुजर रही है।
  • 2014 के लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद से ही कांग्रेस बड़ी मुश्किल में हैं।
  • देश के हर बड़े राज्य से कांग्रेस का सफाया हो चुका है।
  • साथ ही सूबे की जनता को भी कांग्रेस पर कुछ ख़ास भरोसा नहीं है।
  • जिसकी पुष्टि यूपी के लोगों ने 27 साल से कांग्रेस को सत्ता से बाहर रखकर कर दी है।

प्रशांत किशोर ही एकमात्र सहारा:

  • यूपी चुनाव में जीत दिलवाने के लिए कांग्रेस ने प्रशांत किशोर को अपना खेवनहार बनाया है।
  • उन्हें यूपी चुनाव की पूरी जिम्मेदारी सौंपी गयी है।
  • प्रशांत किशोर ने किसानों के बीच पैठ बनाने के लिए किसान यात्रा और खाट सभा आदि का आयोजन किया।
  • लेकिन यात्रा से ज्यादा सभा में खाट लूटे जाने के किस्से मशहूर हो गए।
  • हालाँकि राहुल गाँधी ने किसान यात्रा के दौरान करीब 3 हजार किलोमीटर की यात्रा तय की।
  • लेकिन उसका भी प्रभाव जल्द ही धूमिल हो गया।

नोटबंदी को लेकर जनाक्रोश रैली:

  • केंद्र सरकार के नोटबंदी के फैसले को लेकर कांग्रेस संसद के बाहर प्रदर्शन कर खूब सुर्खियाँ बटोरने की कोशिश की।
  • यहाँ तक कि, कांग्रेस ने भारत बंद का भी ऐलान कर दिया, हालाँकि, कांग्रेस का यह प्रयास भी पूरा तरह विफल हो गया।
  • जिसके बाद प्रदेश चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस ने जनाक्रोश रैली की शुरुआत कर दी।

सीएम का सवर्ण चेहरा भी मुसीबत:

  • कांग्रेस के सीएम के चेहरे से भी यूपी वालों को समस्या है,
  • शीला दीक्षित ने दिल्ली की मुख्यमंत्री रहते हुए यूपी के लोगों के खिलाफ काफी बार कड़े शब्दों का इस्तेमाल किया है।
  • जिसे यहाँ के लोग नहीं भूलने वाले हैं।
  • खुद शीला दीक्षित को भी इस बात को समझती हैं, तभी तो यूपी आते ही उन्होंने यूपी से अपना रिश्ता बताना शुरू कर दिया था।

गठबंधन कांग्रेस की आखिरी उम्मीद:

  • कांग्रेस पार्टी अब उत्तर प्रदेश की सत्ता में काबिज होने के लिए गठबंधन की ओर ताक रही है।
  • लेकिन, सूबे की समाजवादी पार्टी ही कांग्रेस के लिए एकमात्र विकल्प है।
  • या विषम परिस्थितियों में कांग्रेस-बसपा गठबंधन की सम्भावना भी बन सकती है।
  • हालाँकि, कांग्रेस के नेता गठबंधन की बात को सिरे से ख़ारिज कर रहे हैं।
  • लेकिन हमें ये नहीं भूलना चाहिए कि, प्रशांत किशोर गठबंधन को लेकर सपा प्रमुख से मिल चुके हैं।
  • उत्तर प्रदेश में कांग्रेस अपना 27 सालों का सूखा खत्म कर पायेगी या नही ये तो आने वाला समय और चुनाव ही बताएगा।
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