सूबे में चुनाव होने में कुछ ही वक्त बचा है और सभी राजनीतिक दल अपनी-अपनी सरकार बनाने के दावे करते नजर आ रहे हैं. सत्ताधारी दल समाजवादी पार्टी भी दोबारा सत्ता में आने के दावे कर रही है, वहीँ 27 साल से सत्ता से दूर रहने का दर्द कांग्रेस के नेताओं के चेहरे पर भी साफ दिखाई पड़ता है. बीजेपी को भी एक दशक से अधिक का समय हो गया और बीजेपी भी यूपी चुनाव में बहुमत से सरकार बनाने के दावे कर रही है.

प्रमुख विपक्षी दल की भूमिका में सपा को बसपा से टक्कर मिलने की उम्मीद जताई जा रही है. बसपा सुप्रीमो मायावती ने सपा सरकार पर अराजकता, गुंडाराज, भ्रष्टाचार और लॉ एंड आर्डर को लेकर हमले किये हैं. मायावती अपील कर रही हैं कि बसपा की सरकार बनी तो सूबे में अपराध ख़त्म होगा, अराजकता ख़त्म होगी, बेरोजगारी से निजात मिलेगी और भ्रष्टाचार से मुक्ति मिलेगी. लेकिन गौरतलब है कि मायावती के शासनकाल में दर्जनों घोटाले उजागर हुए जिनके छींटे मायावती के दामन पर भी पड़े. मायावती पर खुद भी संपत्ति बटोरने का आरोप लगा. स्मारक घोटाला, NHRM, ताज कॉरिडोर, मनरेगा जैसे घोटाले सामने आये.

इन तमाम घोटालों में सीधे तौर पर मायावती का नाम सामने आया और मायावती के कई करीबियों के यहाँ सीबीआई ने छापे डाले. ऐसे में मायावती सूबे की जनता को किस प्रकार यकीन दिलाने में कामयाब होगी ये तो आगामी चुनाव में जनता फैसला करेगी.

लैकफेड घोटाला:

  • लैकफेड घोटाले में बसपा सरकार ने मंत्री बाबुसिंग कुशवाहा चंद्रदेव राम और रंगनाथ मिश्र का नाम आया.
  • जिनको बाद में हिरासत में भी लिया गया.
  • लैकफेड को राजकीय निर्माण एजेंसी को नामित करने के साथ ही इस घोटाले की शुरुआत हो गई थी.
  • तत्कालीन मुख्य सचिव अतुल कुमार गुप्ता ने पत्रक देकर लैकफेड को नामित किया था.
  • लैकफेड को 2.50 करोड़ के गैर-मानकीकृत भवनों के निर्माण का कार्य सौंपा गया था.
  • शासनादेश में साफ़ लिखा गया था कि 1 वर्ष बाद कार्यों की समीक्षा के बाद राजकीय निर्माण एजेन्सी नामित करने का निर्णय लिया जाएगा.
  • कुशवाहा की निजी दिलचस्पी थी कि लैकफेड को  राजकीय निर्माण एजेंसी किया गया.
  • इसमें पीडब्ल्यूडी के इंजीनियर टी राम भी निशाने पर थे, जिन्हें लैकफेड के कामों की समीक्षा करनी थी.
  • इनपर भी करोड़ों डकार कर बैठ जाने का आरोप लगा था.
  • 21 फरवरी, 2012 को पहली बार इस मामले में हुसैनगंज कोतवाली में दर्ज हुआ.

NHRM घोटाले में मायावती से की जा चुकी है पूछताछ:

  • राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन घोटाले में यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री से कई दफे पूछताछ की जा चुकी है.
  • एजेंसी का दावा था कि उनके पास कई अहम सबुत हैं.
  • साथ ही मायावती पर गलत तरीके से करीब 100 पदों को सृजित कर उनपर नियुक्ति के आरोप भी लगे थे.
  • कई जिला परियोजना अधिकारियों की संलिप्तता भी उजागर हुई थी जो गलत क्रियान्वयन के दोषी पाए गए थे.
  • इस घोटाले में करीब 50 आरोपपत्र के अलावा 74 FIR भी दर्ज हो चुके हैं.
  • तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री बाबुसिंह कुशवाहा इस मामले में भी मायावती के लिए सरदर्द बने हुए हैं.

175 करोड़ के ताज कॉरिडोर घोटाले में मायावती घिरीं:

  • ताज कॉरिडोर मामले भी सीबीआई ने मायावती से पूछताछ की.
  • राजनीतिक दांवपेंच में उलझे केस में आगे की कार्यवाई कर बार बाधित हो चुकी है.
  • मामला अभी भी विचाराधीन है और मायावती को क्लीनचिट नहीं मिली है.
  • ताज कॉरिडोर के कारण मायावती की किरकिरी तब हुई जब सुप्रीम कोर्ट भी सख्त हुआ.
  • इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मायावती को नोटिस भेज 4 हफ्ते में जवाब तक मांग लिया.
  • हालाँकि 2007 में वर्तमान राज्यपाल ने केस चलाने की मंजूरी नहीं दी थी.
  • जिसपर सुप्रीम कोर्ट भी कायम रहा और केस चलाने को लेकर दायर याचिका को ख़ारिज कर दिया.

स्मारक घोटाले में मायावती की हुई किरकिरी:

  • करीब 4300 करोड़ के स्मारक बनाने के प्रोजेक्ट ने मायावती की मुश्किलें बढ़ा दी.
  • मायावती सरकार ने 4200 करोड़ खर्च होने का दावा भी किया.
  • लेकिन पूरे मामले पर लोकायुक्त की जाँच के बाद जो कुछ सामने आया, वो मायावती के लिए मुश्किलें पैदा करने वाला था.
  • लोकायुक्त ने कहा कि एक तिहाई धन का दुरुप्रयोग हुआ है अर्थात ये रकम स्मारक में नहीं भ्रष्टाचार में गई है.
  • लखनऊ और नॉएडा में 4300 करोड़ की लागत से 5 स्मारक बनाने का काम शुरू हुआ था.
  • इस प्रोजेक्ट के लिए लाये गए पत्थरों पर लोकायुक्त की नजर थी.
  • लोकायुक्त ने जाँच में पाया कि पत्थरों को तराशने के लिए मशीनें लायी गई थी.
  • लेकिन इसके बावजूद पत्थर की तराशी के लिए 10 गुना धन खर्च हुआ दिखाया गया.
  • पत्थरों की आपूर्ति मिर्जापुर से हुई लेकिन राजस्थान से कागजों पर दिखाया गया.
  • जिसमें ढुलाई का अतिरिक्त खर्च भी जोड़कर दिखाया गया था.
  • पूरे मामले में स्मारक बनाने में शामिल एजेंसियों ने भी तय मानकों की धज्जियाँ उड़ाई.
  • करीब 1400 करोड़ के घोटाले में नसीमुद्दीन सिद्दकी और बाबूसिंह समेत 19 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज हुआ.
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