उत्तर प्रदेश की समाजवादी पार्टी और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के बीच यूपी चुनाव के तहत गठबंधन हो गया है। गठबंधन के तहत सपा 298 और कांग्रेस 105 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। सपा-कांग्रेस के गठबंधन को कुछ लोग जहाँ फायदे का सौदा बता रहे हैं, तो कुछ लोगों का मानना है कि, इससे दोनों ही दलों को नुक्सान हो सकता है।

गठबंधन से सपा का फायदा और नुक्सान:

फायदा:

  • उत्तर प्रदेश के चुनाव में मुस्लिम मतदाता एक अहम भूमिका निभाता है।
  • यूपी में कुल मतदाता का 19 फ़ीसदी हिस्सा मुस्लिमों का है।
  • 2012 विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी को 39 फ़ीसदी मुस्लिम मत हासिल हुए थे।
  • बाकी मत अन्य दलों में बंट गए थे।
  • बाबरी विध्वंस के बाद सपा ही सूबे के मुस्लिमों के लिए एकमात्र ठिकाना रही है।
  • कांग्रेस को 2012 में 18 फ़ीसदी मुस्लिम मत हासिल हुए थे।
  • यह बात जगजाहिर है कि, सूबे का मुस्लिम मतदाता ढाई दशक से भाजपा को हराने के लिए एकतरफा वोट करता है।
  • सपा-कांग्रेस गठबंधन के लिए यह संजीवनी का काम कर सकता है।
  • साथ ही प्रशांत किशोर और शीला दीक्षित के चलते 18 फ़ीसदी सवर्ण वोट का भी कुछ हिस्सा गठबंधन को मिल सकता है।

नुक्सान:

  • साल 1989 के बाद से ही कांग्रेस यूपी में अपना जनाधार खोती चली गयी है।
  • कांग्रेस का प्रदर्शन: 1989- 94 सीट,
  • 1991- 46 सीट,
  • 1993- 28 सीट,
  • 1996- 33 सीट,
  • 2002- 25 सीट,
  • 2007 में 22 सीट,
  • 2012 में 28 सीट।
  • कांग्रेस के गढ़ अमेठी, रायबरेली और सुल्तानपुर में 2012 में सपा ने खुद ही सेंध लगायी थी।
  • तीन जिलों की 15 सीटों में से सपा ने 12 पर कब्ज़ा किया था।
  • वहीँ 105 सीटों के अलावा अन्य प्रत्याशी गठबंधन से नाखुश होकर सपा को नुक्सान पहुंचा सकते हैं।
  • हालाँकि, दोनों दलों के बीच वोट ट्रान्सफर कराये जाने की बात चल रही है, लेकिन ऐसा प्रतीत नहीं हो रहा है।
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