भारत आज़ादी के बाद भी काफी पिछड़ा हुआ देश माना जाता रहा है, परंतु भारत का अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन(ISRO) ने देश को एक-एक विश्व में नयी पहचान दिलाई है. ISRO ने जिस तरह आज अपने प्रक्षेपण विमान PSLV-C37 द्वारा 104 उपग्रहों को अंतरिक्ष में लांच किया है, इसी तरह पहले भी यह संगठन देश को खुद पर गर्व करने के कई मौके दे चुका है. आइये जानते हैं कौन से हैं वे मौके जिनसे देश आज विश्व में जाना जाता है.

PSLV C-37 के ज़रिये लांच किये 104 उपग्रह :

  • भारत ने विश्व में PSLV-C37 के सफल परीक्षण के साथ एक और कीर्तीमान स्थापित कर दिया है.
  • जिसके तहत आज इस संगठन ने अंतरिक्ष में एक साथ करीब 104 उपग्रहों को लांच किया है.
  • आपको बता दें कि अभी तक यह रिकॉर्ड रूस के नाम था,
  • जिसे आज भारत ने तोड़ते हुए अपना नाम भी इसमें दर्ज कर लिया है.
  • बता दें कि रूस ने यह परीक्षण वर्ष 2014 में किया था, जिसमे करीब 37 उपग्रहों को एक साथ लांच किया गया था.
  • जिसके बाद आज भारत ने इससे एक कदम आगे बढ़ाते हुए करीब 104 उपग्रह एक साथ लांच किये हैं.

PSLV का सफल प्रक्षेपण :

  • आज के सफल प्रक्षेपण से पहले ISRO ने एक और कीर्तिमान स्थापित किया था.
  • जिसके तहत वर्ष 1990 में  संगठन ने ध्रुवीय प्रक्षेपण यान PSLV को विकसित किया था.
  • आपको बता दें कि इस याँ को वर्ष 1993 में पहली बार उपग्रह ऑर्बिट भेजा गया था,
  • जो भारत के लिए गर्व की बात थी. इससे पहले यह सुविधा केवल रूस के पास थी.

चंद्रयान बनाकर रचा था इतिहास :

  • भारत अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन द्वारा एक और इतिहास वर्ष 2008 में रचा गया था.
  • जिसके तहत संगठन द्वारा चंद्रयान बनाया गया था.
  • आपको बता दें कि इस यान को 22 अक्टूबर 2008 में स्वदेश निर्मित होने कि पहचान मिली थी.
  • यही नहीं इस यान की ख़ास बात यह थी कि यह एक मानव रहित अंतरिक्ष यान था.
  • जिसे वैज्ञानिकों द्वारा चाँद पर भेजा गया था.

मंगलयान द्वारा एक ही बार में अंतरिक्ष में पहुँच रचा इतिहास :

  • भारत अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन द्वारा एक और  ऐसा कीर्तीमान रचा गया था,
  • जिसे आज भी विश्व में एक बहुत बड़ी उपलब्धि माना जाता है.
  • दरअसल मंगलयान पूरे विश्व में वह पहला यान था जो एक ही बार मंगल गृह पर पहुँच पाया था.
  • वहीँ अमेरिका, रूस व यूरोप को इस गृह तक पहुँचने के लिए कई प्रयास करने पड़े थे.
  • आपको बता दें कि चंद्रयान की सफलता के बाद यह वह कामयाबी थी इसकी चर्चा विश्व में होने लगी थी.

जीएसएलवी मार्क 2 से हुए थे आत्मनिर्भर :

  • भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन द्वारा JSLV मार्क 2 के निर्माण के साथ ही भारत आत्मनिर्भर हो गया था.
  • ऐसा इसलिए क्योकि भारत ने इसमें अपने देश में बना हुआ क्रायोजेनिक इंजन लगाया था.
  • जिसके बाद भारत को उपग्रह लांच के लिए किसी भी देश पर निर्भर होने कि ज़रुरत नहीं पड़ी
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