उत्तर प्रदेश में विधानसभा की चुनावी डुगडुगी जनवरी के दूसरे हफ्ते में बज सकती है लेकिन सपा सरकार अपना कार्यकाल पूरा करना चाहती है जो 28 मई तक है। उत्तर प्रदेश में 16वीं विधानसभा के लिए चुनाव आयोग ने वर्ष 2012 में आठ फरवरी से तीन मार्च के बीच सात चरणों में चुनाव कराए थे। मौजूदा विधानसभा के गठन की अधिसूचना आठ मार्च को हुई थी और 15 मार्च को अखिलेश यादव ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। विधानसभा सदन की पहली बैठक 28 मई 2012 को आहूत की गयी थी। आयोग ने मतदान केंद्रों में बदलाव का पहला चरण पूरा कर लिया है। 30 जून तक आयोग सभी मतदान केंद्र तय करके उनकी तस्वीरों के साथ ब्योरा ऑनलाइन कर देगा। मतदाता सूची ठीक करने की कवायद भी चल रही है। मृत, एक से दूसरे स्थान पर गए मतदाताओं के नाम काटने व जोडऩे का काम हो रहा है। सूची का पहला ड्राफ्ट एक सितंबर को जारी कर दिया जाएगा और अंतिम मतदाता सूची पांच जनवरी 2017 को जारी कर दी जाएगी। इसके बाद आयोग कभी भी चुनाव की घोषणा कर सकता है। सूत्रों का कहना है उत्तराखंड व दूसरे राज्यों के साथ उत्तर प्रदेश में जनवरी-फरवरी में चुनाव कराया जा सकता है। उत्तर प्रदेश सरकार का पांच वर्ष का कार्यकाल विधानसभा सदन के पहले उपवेशन (बैठक) से माना जाता है इसलिए मौजूदा समाजवादी पार्टी सरकार का कार्यकाल 28 मई 2017 तक का है। ऐसे में सरकार चाहती है कि चुनाव मौजूदा वित्तीय वर्ष गुजरने के बाद अप्रैल-मई में ही कराए जाएं ताकि बजट का पूरी तरह से इस्तेमाल हो सके। हालांकि संविधान, आयोग को यह अधिकार भी देता है कि सरकार का कार्यकाल पूरा होने के छह माह में वह कभी भी चुनाव करा सकता है।

आयोग की तैयारीः

  • पोलिंग बूथों की संख्या-1,40,259
  • पोलिंग स्टेशनों की संख्या-89,377
  • जर्जर व 1500 से अधिक मतदाता वाले पोलिंग स्टेशन चिन्हित।
  • 10 हजार पोलिंग स्टेशन बढऩे की संभावना।
  • एक सितंबर को मतदाता सूची का पहला डाफ्ट जारी होगा और पांच जनवरी को फाइनल सूची।

निर्वाचन आयोग ने शुरू की तैयारीः

मुख्य निर्वाचन अधिकारी उत्तर प्रदेश, अरुण सिंघल ने बताया कि हमने तैयारी शुरू कर दी है। मतदान केंद्रों के साथ मतदाता सूची को ठीक करना ही मुख्य कार्य होता है। इसका पहला चरण पूरा हो गया है। चुनाव तिथियों को लेकर निर्णय केंद्रीय चुनाव आयोग को करना होता है।

 28 मई तक है सपा सरकार का कार्यकालः

प्रमुख सचिव विधानसभा प्रदीप दुबे ने कहा कि 16वीं विधानसभा के गठन की अधिसूचना आठ मार्च 2012 को जारी की थी लेकिन सदन की प्रथम बैठक 28 मई 2012 को आहूत की गयी थी इसलिए सरकार का कार्यकाल 28 मई 2017 तक होगा।

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