सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यानाथ ने पंजीरी के करोड़ों के टेंडर की फाइल शुक्रवार को तलब की। जिसके मुख्यमंत्री ने प्रमुख सचिव डिंपल वर्मा को फटकार लगाई। साथ ही पंजीरी का टेंडर भी निरस्त कर दिया है। सीएम योगी आदित्यनाथ के इस कदम के बाद आधिकारियों में हड़कंप मच हुआ है। क्योंकि पंजीरी घोटाले में दर्जनों अधिकारियों पर गांज गिरने की आशंका जताई जा रही है।

CBI जांच की मांग:

  • यूपी में 14 साल से जारी पंजीरी माफिया की लूट आई सामने।
  • ब्लैक लिस्टेड कंपनी 14 साल प्रति वर्ष 4 हजार करोड़ो की पंजीरी बंटती है।
  • ग्रेट फूड वैल्यू 2004 में ब्लैक लिस्टेड हुई थी।
  • घटिया पंजीरी की सप्लाई पर ब्लैक लिस्टेड थी ग्रेट फूड वैल्यू।
  • काली सूची वाली कंपनी को 13 साल से लगातार ठेका मिलता रहा।
  • चड्ढा-खंडेलवाल-अग्रवाल पर पंजीरी सिंडीकेट चलाने का आरोप
  • अब पंजीरी वितरण में बड़े घोटाले की आशंका व्यक्त की जा रही है।
  • बाल विकास निदेशालय और सरकार भी शामिल।
  • गुणवत्ता जांच को सिंडीकेट की अपनी लैबोरेट्री भी है।
  • अवैध ठेका, घटिया सप्लाई और खुद के सर्टीफिकेट।
  • बालविकास और पुष्टाहार विभाग ने बिना टेंडर के ही 700 करोड़ की पंजीरी बांट दी।
  • शासन की अनुमति के बगैर कई फर्मों को 321 करोड़ की भुगतान कर दिया गया।
  • यूपी में बच्चों, गर्भवती महिलाओं को पंजीरी बांटी जाती है.
  • करीब पौने दो लाख आंगनबाड़ी केंद्रों में पंजीरी बांटी जाती है।
  • बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग पंजीरी वितरण का काम करता है।
  • इस योजना के तहत हर महीने 6 साल तक के बच्चों और गर्भवती महिलाओं को पंजीरी बांटी जाती है।
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