देश की मातृभाषा हिन्दी है परंतु फिर भी कई शिक्षण संस्थानों में इसे महत्ता नहीं दी जाती है. जिसके कारण हिंदी भाषा को मात्र आंठ्वी तक पढ़ाया जाता है. इसके चलते छात्र अपने आने वाले जीवन में हिंदी भाषा का महत्त्व नहीं जान पाते हैं. साथ ही हिंदी को बड़ी हीन भावना से स्वीकार करते हैं. इसे देखते हुए केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड(CBSE) ने एक नयी पहल की ओर कदम उठा रहा है. जिसके तहत अब इस माध्यम के सभी स्कूलों में कक्षा 10 तक हिंदी एक विषय के तौर पर पढाया जा सकता है. यानी अब हिंदी एक विषय की तौर पर कक्षा 10 तक पढाया जा सकता है.

शिक्षा मंत्रालय से जवाब आना बाकी :

  • संसदीय पैनल द्वारा पेश किये गए एक सुझाव को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा स्वीकार किया गया था.
  • बता दें कि इस सुझाव के अंतर्गत देश की मातृभाषा हिंदी को एक विषय के तौर पर कक्षा 10 तक अनिवार्य करने की बात कही गयी थी.
  • इसके अलावा CBSE द्वारा बीते समय में एक तीन भाषा के चुनाव का सुझाव दिया गया था.
  • इस सुझाव के अंतर्गत एक भाषा अंग्रेज़ी थी साथ ही कोई भी दो भारतीय भाषायें शामिल थीं.
  • बता दें कि यह सुझाव कक्षा नवीं और दसवीं के विषयों पर चल रही चर्चा के तहत दिया गया था.
  • इस सुझाव के तहत उत्तरी भारत में हिंदी को चुना गया था,
  • तो वहीँ बाकी के राज्यों को 22 भाषाओं में से चुनाव करने की बात कही गयी थी.
  • आपको बता दें कि इन सुझावों के साथ ही संसदीय पैनल द्वारा हिंदी की अनिवार्यता को बढ़ावा देने के लिए और भी कई सुझाव दिए गए थे.
  • इन सुझावों में से राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा कई सुझावों को स्वीकार किया गया है.
  • जिसके बाद हिंदी की अनिवार्यता को बढ़ावा देने के लिए जल्द ही अहम कदम उठाये जा सकते हैं.
  • हालाँकि अभी इस मामले पर शिक्षा मंत्रालय का जवाब आना बाक़ी है.
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