उत्‍तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने 12 अप्रैल, 2005 को लखनऊवासियों को एक बड़ी सौगात दी थी। इस दिन अखिलेश ने ‘स्मार्ट सिटी सर्विलांस सिस्टम दृष्टि’ की शुरुआत की थी।

कभी भी बंद हो सकते हैं शहर के CCTV कैमरे

  • अब दो साल बाद ही यह बंद होने के कगार पर है।
  • एक निजी कंपनी को टेंडर दिया गया था उसका आठ करोड़ से अधिक बिल का बकाया है।
  • ऐसे में राजधानी के सभी प्रमुख 70 चौराहों पर लगे 280 सीसीटीवी (CCTV) कैमरे कभी भी बंद किए जा सकते हैं।
  • पिछले दिनों आइएएस अनुराग तिवारी की मौत के बाद पुलिस गच्चा खा गई। अगर कैमरे चल रहे होते तो इससे पुलिस को अनुराग तिवारी की मौत के अहम सुराग मिल सकते थे।

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तीन साल का था टेंडर (CCTV)

  • दृष्टि के कंट्रोल रूम में मौजूद निजी कंपनी के टेक्निकल स्टाफ के मुताबिक तीन साल का टेंडर था।
  • जो आठ महीने में पूरा होने वाला है, जैसे तैसे सिस्टम चलाया जा रहा है।
  • बहुत जल्द इसे बंद कर दिया जाएगा।
  • सिस्टम चालू होने के बाद से अब तक बिजली, सीसीटीवी कैमरे, मेंटीनेंस समेत अन्य किसी भी चीज का संबंधित कंपनी को शासन स्तर से बिल का भुगतान नहीं हुआ है।

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गोमतीनगर में है कार्यालय

  • गोमतीनगर के विपिनखंड स्थित चीनी निगम की बिल्डिंग में संचालित स्मार्ट सिटी सर्विलांस सिस्टम दृष्टि के कंट्रोल रूम से 70 प्रमुख चौराहों पर लगे 280 सीसीटीवी कैमरों की फुटेज से कई बार पुलिस ने अपराधियों को चिह्न्ति कर गिरफ्तार करने में सफलता हासिल की।
  • कंट्रोल रूम में अधिकारी बैठकर पूरे शहर के पुलिस के साथ यातायात व्यवस्था की भी मॉनीटरिंग कर चुके हैं।
  • ऐसे में अगर भुगतान के अभाव में सीसीटीवी (CCTV) कैमरे बंद हुए तो सबसे बड़ा नुकसान राजधानी पुलिस का ही होने वाला है।
  • कंट्रोल रूम के अधिकारियों के मुताबिक, अधिकांश कैमरे खराब पड़े हैं।

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  • निजी कंपनी के टेक्निकल स्टाफ का कहना है कि भुगतान न होने की वजह से कुछ जगहों के कैमरे बंद किए गए हैं।
  • इस संबंध में एमसीआर के एएसआरओ (सहायक राज्य रेडियो अफसर) अखिलेश चंद्र गुप्ता कार्यालय में मौजूद नहीं थे।
  • उन्होंने फोन पर बताया कि निजी कंपनी ने पुलिस महानिदेशक कार्यालय के माध्यम से टेंडर लिया था। मुझे नहीं मालूम कि भुगतान क्यों नहीं हो रहा, इस संबंध में उच्चाधिकारियों से बात करिए।
  • जो (CCTV) कैमरे खराब पड़े हैं, उन्हें दुरुस्त क्यों नहीं कराया जा रहा। यह जानकारी देने के लिए मैं अधिकृत नहीं हूं।

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