भारत का इतिहास हमेशा से ही अपने-आप में एक मिसाल के तौर पर उभरा है। यहाँ पर होने वाली सभी गतिविधियाँ हमेशा से ही अपने साथ इन दिनों की महत्ता लेकर आते हैं। इस देश का इतिहास अपने-आप में एक मिसाल है और हमेशा ही रहेगा। इस देश का हर एक दिन इतना ख़ास रहा है कि यह इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया है।

44 साल बाद खुला नाथुला दर्रा :

  • 1962 में भारत चीन युद्ध की वजह बंद हुआ नाथुला दर्रा 6 जुलाई 2006 को फिर खुला।
  • सिक्किम के इस पास (दर्रा) से भारत और चीन के बीच व्यापार होता था।
  • कपड़ा, साबुन, तेल, सीमेंट और यहां तक कि स्कूटर को भी सीमा के पार टट्टू पर लादकर तिब्बत भेजी जाता था।
  • गंगटोक से तिब्बत की राजधानी ल्हासा तक 20 से लेकर 25 दिनों का सफर होता है।
  • यह सारा सामान तिब्बत लाता था और वहां से रेशम, कच्चा ऊन, देसी शराब, कीमती पत्थर, सोने और चांदी के बर्तन लाए जाते थे।
  • 44 साल बाद नाथुला दर्रा फिर खुल तो गया लेकिन इसकी पुरानी रौनक कभी नहीं लौटी।
  • भारत और चीन के बीच सीमा के अलग-अलग हिस्सों में अब भी विवाद चल रहा है।

अन्य कुछ झलकियां :

  • 1837 में प्रसद्धि समाज सुधारक रामकृष्ण गोपाल भंडारकर का जन्म हुआ था।
  • 1894 में हिन्दी खड़ी बोली और ‘भारतेन्दु युग’ के उन्नायक प्रताप नारायण मिश्र का निधन हुआ था।
  • 1901 में जनसंघ के संस्थापक और भारतीय राजनीतिज्ञ श्यामाप्रसाद मुखर्जी का जन्म हुआ था।
  • 1905 में भारत की प्रख्यात समाज सुधारक लक्ष्मीबाई केलकर का जन्म हुआ था।
  • 1935 में बौद्ध धर्म के धर्मगुरु दलाई लामा का जन्म हुआ था।
  • 1944 में महात्मा गांधी को पहली बार नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने राष्ट्रपिता कहा।
  • 1956 में भारत सरकार में पर्यावरण, वन तथा जलवायु परिवर्तन राज्यमंत्री रहे अनिल माधब दवे का जन्म हुआ था।
  • 1986 में आधुनिक भारतीय राजनीति के शिखर पुरुष जगजीवन राम का निधन हुआ था। जिन्हें आदर से ‘बाबूजी’ कहा जाता था।
  • 2002 में भारत के प्रसिद्ध उद्योगपति धीरूभाई अंबानी का निधन हुआ था।
UTTAR PRADESH NEWS की अन्य न्यूज पढऩे के लिए Facebook और Twitter पर फॉलो करें