राजधानी के चारबाग में बने रेलवे स्टेशन की बिल्डिंग ऐतिहासिक धरोहरों में शामिल है। रेलवे का इंजीनियरिंग विभाग इस बिल्डिंग की देखभाल करता है, लेकिन इस ऐतिहासिक इमारत का कितना ख्याल रेलवे विभाग द्वारा रखा जा रहा है, यह इन दिनों राजधानी में हो रही बारिश के समय आसानी से देखा जा सकता है। पिछले चार दिनों से लगातार हो रही बारिश के कारण इसकी छतों पर पानी भर गया है। लगातार पानी भरे होने से अब पानी ने चारबाग की दीवारों में भी घुसना शुरू कर दिया है, जिससे बिल्डिंग को क्षति पहुंच रही हैं।

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ड्रेनेज की भी उचित व्यवस्था नहीं

  • स्टेशन पर बार-बार इंजीनियरिंग विभाग के कर्मियों को संज्ञान दिलाने के बाद बावजूद भी विभाग अपनी आंखें मूंदे बैठा है।
  • विभाग के कर्मियों की मानें तो बिल्डिंग की छत पर इलेक्ट्रिकल विभाग की तारें पड़ी हैं।
  • जिसके चलते इंजीनियरिंग विभाग छत से पानी निकालने के लिए उचित प्रबंध नहीं कर पा रहा है।
  • वहीं, इसकी छतों पर इंजीनियरिंग विभाग द्वारा ड्रेनेज की उचित व्यवस्था नहीं की गई है।
  • इंजीनियरिंग विभाग के कर्मियों की लापरवाही से इस ऐतिहासिक धरोहर को नुकसान पहुंच रहा है।
  • हैदर कैनाल नाले की सफाई न होने से प्लेटफार्म नंबर एक के नीचे बने सीवर उफनाने लगे हैं।
  • जिससे पानी की निकासी नहीं हो पा रही है।
  • नतीजतन, पानी छतों से गिरकर सीधे प्लेटफार्मों पर फैल रहा है।
  • जिससे प्लेटफार्म पर आने वाले यात्रियों की मुश्किलें बढ़ती जा रही है।
  • ऊपर से नीचे आने वाला पानी और सीफर उफनाने से बाहर निकला पानी प्लेटफार्मों पर चारों तरफ फैल रहा है।
  •  जबकि स्टेशन प्रबंधक के कक्ष से लेकर जीआरपी तक चारों तरफ पानी भर जा रहा है।
  • दरअसल, सरकुलेटिंग से निकलने वाले पानी की निकासी ठीक ढंग से नहीं हो पा रही है।
    विभागों में तालमेल न बिठा पाने के चलते छतों पर फैले तारों को हटाकर बिल्डिंग दुरुस्त नहीं कर पा रहा है।
  •  ठीक उसी प्रकार बारिश के आने से पूर्व रेलवे अधिकारी नगर निगम से तालमेल नहीं बिठा पाए हैं।
  •  जिसका खामियाजा अब यात्रियों को भुगतना पड़ रहा है।
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