बारिश के चलते जहाँ जगह-जगह जलभराव है वही रेलवे का हाल भी इससे जुदा नहीं है। रेलवे के जिस महकमे से उसे सबसे अधिक आय होती है। बारिश में वहीं महकमा बदहाली का शिकार हो गया है। जिस मालभाड़े से रेलवे को राजस्व मिलता है, उसी सामान को सहेजकर रखने के लिए उसके पास गोदाम तक नहीं है। नतीजा यह है कि आलमनगर गुड्स साइडिंग पर सीमेंट की सैकड़ों बोरियां पानी में भीग रही है।

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रास्ता हो चुका है जर्जर

  • आलमनगर गुड्स साइडिंग उत्तर रेलवे लखनऊ मंडल का सबसे व्यस्त अनलोडिंग का सेंटर है।
  • यहां हर माह औसतन 50 मालगाडिय़ां तो आ ही जाती हैं।
  • इन मालगाडिय़ों से अनाज के अलावा उर्वरक, नमक और अधिकतर सीमेंट आती है।
  • इतने व्यस्त साइडिंग होने के बावजूद यहां पहुंच मार्ग बहुत जर्जर हो चुका है।
  • मालगाड़ी के एक रैक में लगभग 50 वैगन होते हैं।
  • इसके बावजूद मालगाड़ी से आने वाले सामान को सुरक्षित रखने के लिए कोई गोदाम तक नहीं है।
  • पिछले दो साल में छह बार जीएम और लगभग 12 से अधिक बार डीआरएम ने साइडिंग का निरीक्षण किया।
  • यहां गर्मी के समय मजदूरों के पीने के लिए पानी तक नहीं होने की दिक्कतों को दूर करने का आश्वासन दिया।
  • आलमनगर साइडिंग के जीर्णोद्धार का प्रस्ताव रेलवे बोर्ड को भेजा गया।
  • वर्ष 2016-17 के रेल बजट में आलमनगर साइडिंग के जीर्णोद्धार के लिए बजट भी जारी हो गया था।
  • लेकिन रेलवे प्रशासन आज तक इसकी जर्जर हालत को सुधारने की प्रक्रिया ही शुरू नहीं कर सका।
  • यहां सामान की अनलोडिंग कराने वाले व्यापारी प्रेम गुप्ता के साथ व्यापारियों के प्रतिनिधि मंडल ने कई बार डीआरएम से मुलाकात की।
  • अपना मांग पत्र सौपा लेकिन उनकी दुश्वारियां आज तक दूर न हो सकी।
  • सीनियर डीसीएम शिवेंद्र शुक्ल कहते हैं कि रेलवे साइडिंग का जीर्णोद्धार जल्द कराएगा।
  • हालांकि जो सामान भीग रहा है उसके लिए व्यापारी भी जिम्मेदार हैं।

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