हमारे लिए बड़े विमानों की लैंडिंग अब भी सपना है। एयरपोर्ट पर बढ़ते एयर ट्राफिक के बावजूद यहां रनवे के विस्तार की प्रक्रिया बहुत ही धीमी है। वही दूसरी ओर चौधरी चरण सिंह अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर सालाना यात्रियों की संख्या 30 प्रतिशत बढ़ रही है। बावजूद इसके भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण को इसकी बिल्कुल भी चिंता नहीं है।  वो ये भी नहीं सोच रहे है कि कहीं लखनऊ का हाल हैदराबाद और बेंगलुरु एयरपोर्ट की तरह न हो जाए।

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एक बार में एक ही विमान भर सकता है उड़ान

  • आपको बता दें की चौधरी चरण सिंह अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट का रनवे अभी 2742 मीटर का है।
  • यहां एयरबस और एटीआर श्रेणी के विमानों की ही लैंडिंग होती है।
  • लखनऊ एयरपोर्ट से इस समय जहां सात अंतरराष्ट्रीय विमान उड़ान भरते हैं।
  • वही यहाँ से उड़ान भरने वाले घरेलू विमान की संख्या करीब 80 है।
  • लखनऊ से सिंगापुर के बाद बैंकाक की सीधी विमान सेवा शुरू हो चुकी है।
  • एयरपोर्ट पर एकल रनवे के कारण जहां अब ट्राफिक बढ़ाना मुश्किल हो गया है।
  • वहीं अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार जंबो श्रेणी के विमानों की लैंडिंग के लिए लंबा रनवे चाहिए।
  • यह दोनो ही प्रोजेक्ट भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण को जमीन न मिलने से लटके हुए हैं।
  • शासन के वरिष्ठ अधिकारियों ने भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण को 15 दिन में एयरपोर्ट को 70 एकड़ भूमि मुहैया कराने का आश्वासन दिया है।
  • दिल्ली जैसे व्यस्तम एयरपोर्ट पर समानांतर टैक्सी ट्रैक है।
  • इस टैक्सी ट्रैक पर आने और जाने वाले विमानों को खड़ा किया जाता है।
  • रनवे पर दौड़ रहे विमान के उड़ान भरते ही टैक्सी ट्रैक से विमान सीधे रनवे पर आ सकता है।
  • इससे एयरपोर्ट पर विमानों का ट्राफिक और बढ़ सकेगा।
  • लखनऊ एयरपोर्ट पर अभी जब तक एक विमान रनवे से उड़ान नहीं भर पाता है।तब तक दूसरे विमान की लैंडिंग नहीं करायी जा सकती है।

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