हर माँ बाप की एक ही तमन्ना होती है कि उनका बेटा बड़ा होकर कोई अफसर बने। ऐसा ही एक सपना  टैक्सी चलाकर अपने छोटे से परिवार का गुजर-बसर करने वाले जयपुर के हिन्डोनसिटी जिला करौली निवासी मनीष ने भी देखा। लेकिन, उसका सपना उस वक़्त उसकी आँखों से आंसू बनकर बहने लगा जब उसे पता चला कि उसके मासूम बेटे को ब्लड कैंसर है। लेकिन, कहावत है न कि, ‘जाको राखे साईयां मार सके न कोय..।’बस ऐसा ही कुछ मनीष के बेटे हितेश (13) के साथ भी हुआ।

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सफल रहा ऑपरेशन

  • हितेश (13) को रक्त कैंसर था।हितेश के पिता पेशे से एक टैक्सी ड्राइवर हैं।
  • ऐसे में उनका यही सपना था की उनके बेटे को ये काम न करना पड़े।
  • इसके लिए वो दिन रात मेहनत करके उधार लेकर बेटे को पढ़ा रहे हैं।
  • लेकिन जिस दिन बेटे की बीमारी का उन्हें पता चला उनके सारे सपने टूट गए।
  • चिकित्सक को दिखाया तो चिकित्सकों ने कहा कि हितेश का इलाज संभव है वह ठीक हो जाएगा।
  • ये सुन उन्हें बेहद ख़ुशी हुई तभी डॉक्टर ने इलाज में पांच लाख रुपये के खर्च की बात बताई।

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  • ये सुनकर एक बार फिर मनीष का चेहरा मुरझा गया।
  • उसने सोचा कि महीने का राशन और बच्चों की पढ़ाई का खर्च उठाने में ही उधार लेना पड़ता था।
  • ऐसी हालत में इतने बड़े इलाज का खर्च वो कैसे उठा पायेगा। उसकी सभी उमीदें अब टूट चुकी थी।
  • ऐसे कठिन वक्त में मनीष का साथ जयपुर स्थित भगवान महावीर कैंसर चिकित्सालय ने दिया।
  • जिसने न सिर्फ हितेश का नि:शुल्क इलाज किया, बल्कि आज हितेश पूरी तरह स्वस्थ है।
  • केवल हितेश ही नहीं, अस्पताल के प्रयास से अब तक 46 बच्चे पूरी तरह कैंसर मुक्त हो चुके हैं।

बच्चों का कर रहे फ्री इलाज

  • निदेशक डॉ.श्रीगोपाल काबरा ने कहा आर्थिक मजबूरी से कैंसर मरीजों का इलाज नहीं हो पाता है।
  • ऐसे में बच्चों की इस गंभीर बीमारी का इलाज कराने की व्यवस्था न होना गलत है।
  • भगवान महावीर कैंसर अस्पताल के न्यासियों ने ‘डोनेट ए लाइफ-एक जीवनदान योजना’ शुरू की है।
  • जिसके तहत रक्त कैंसर के बच्चे के इलाज के लिए 5 लाख रुपये तक की राशि खर्च की जाता है।
  • उन्होंने बताया कि इस परियोजना के लिए अलग से एक कोष की स्थापना की गई है।
  • जिसमें दानदाताओं ने 22 करोड़ रुपये का दान दिया है।
  • और इसमें से अभी तक मात्र  डेढ़ करोड़ रुपये ही खर्च हुए हैं।

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छोड़ चुके थे उम्मीद

  • पिता मनीष ने कहा जिस दौैर से हम गुजर रहे थे हमने तो पूरी उम्मीद ही छोड़ दी थी।
  • क्योंकि बीमारी का नाम सुनकर ही हमें लगने लगा था कि इसका इलाज हमारे वश की बात नहीं है।
  • लेकिन, ऐसे में डॉ.उपेंद्र शर्मा और महावीर कैंसर अस्पताल प्रबंधन हमारे लिए भगवान बन आया।
  • और उन्होंने न सिर्फ हमारे बच्चे की जान बचाई, बल्कि पूरा इलाज नि:शुल्क किया।
  • एक साल के इलाज के बाद आज जो दवाएं चल रही हैं, वह भी अस्पताल हमें नि:शुल्क दे रहा है।
  • मेरा बच्चा अब स्वस्थ है और स्कूल भी जाने लगा है।
  • इलाज के दौरान अस्पताल की वरिष्ठ उपाध्यक्षा अनिला जी कोठारी ने हर संभव सहयोग किया।
  • ‘डोनेट ए लाइफ-एक जीवनदान योजना’ के तहत रक्त कैंसर से पीड़ित 85 बच्चे पंजीकृत हुए थे।
  • उनमें से 18 बच्चे विभिन्न कारणों से परियोजना से बाहर हो गए।
  • बाकी 67 बच्चों का इलाज किया गया। उनमें से 46 बच्चे पूरी तरह कैंसर मुक्त हो चुके हैं।
  • और 21 नए बच्चों का इलाज चल रहा है। इलाज लगभग दो साल तक चलता है।
  • जिसके बाद बीमारी बिलकुल ठीक हो जाती है।ये भी पढ़ें : सीएम योगी के भाषण पर सदन में संग्राम!
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