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बिखरे बाल, फटे कपड़े और पागलों जैसा व्यवहार कुछ ऐसा ही था उस युवती का हाल जब वो राजकीय आयुर्वेद अस्पताल में आयी थी। पढ़ाई में टॉपर ये युवती किसी को भी चोटिल कर देती थी। ये सब उसकी आदत में शुमार हो चुका था। पढ़ाई में अव्वल रहने वाली इस युवती को अचानक मानसिक रोग हो गया जिसके बाद उसमें ये बदलाव हुए। आयुर्वेद अस्पताल के पंचकर्म विभाग में तैनात वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. संजीव रस्तोगी के तीन महीने के इलाज के बाद आज उसकी हालत कुछ ठीक है अब पहले की अपेक्षा सफाई से तो रहती ही है साथ ही एक बार फिर से उसने किताबों से दोस्ती कर ली।

पंचकर्म से किया इलाज

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  • आजमगढ़ की रहने वाली ये युवती एमएसी द्वितीय वर्ष की फिजिक्स की छात्रा है।
  • युवती के पिता भी उसी विश्वविद्वलाय में प्रोफेसर हैं जहां युवती पढ़ती है।
  • करीब तीन साल पहले युवती ने अचानक अजीब सा व्यवहार करना शुरू किया।
  • पहले तो परिजनों को कुछ समझ नहीं आया कि उसे क्या हुआ है?
  • लेकिन, डाॅक्टरों को दिखाने पर इस बात की पुष्टि हुयी कि युवती को कोई मानसिक रोग है।
  • इसके बाद युवती के पिता ने पहले उसे आजमगढ के एक अस्पताल में भर्ती कराकर इलाज कराया ।
  • लेकिन,कोई भी बदलाव न देखकर उन्होंने रिश्तेदारों से सलाह ली।
  • रिश्तेदारोंके कहने पर युवती को वो राजकीय आयुर्वेद चिकित्सालय में दिखाने ले गए।
  • यहां पर पंचकर्म विभाग के चिकित्सक डाॅ संजीव रस्तोगी ने युवती को देखा तो उनके लिए भी यह पहला ऐसा केस था।

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  • ऐसा इसलिए था क्योंकि आयुर्वेद में मानसिक रोगियों की तादाद न के बराबर रहती है।
  • ऐसे में उनके लिए यह केस किसी चुनौती से कम नहीं था।
  • हालांकि उन्होंने इसे एक चैलेंज के रुप में स्वीकार किया।
  • युवती के पिता को नहीं मालूम था कि उनकी बेटी कभी दोबारा सही भी हो पाएगी या नहीं।
  • लेकिन, उन्होंने डाॅ रस्तोगी पर भरोसा किया और तीन महीने पहले उसे अस्पताल में भर्ती किया।
  • यहां पर डॉ. रस्तोगी और दो पीजी की इंटर्न डाॅक्टरों डाॅ.वंदना तिवारी और डाॅ. स्वयंप्रभा जाटव की देखरेख में उसे रखा गया।
  • सबसे पहले डाॅ रस्तोगी ने उसकी बाहरी हालत को सामान्य करना चाहा।

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  • ऐसे में कई बार नर्स और डाॅक्टरों को उससे चोट भी खानी पडी।
  • लेकिन कोशिश के बाद आखिरकार वे सफल हुए और उसने डाॅक्टर वंदना को अपने करीब आने दिया।

आगे वीडियो में जाने युवती की कहानी डॉक्टर कि जुबानी

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बेहतर हुई युवती की हालत

  • इसके बाद डाॅ. रस्तोगी ने पंचकर्म की शिरोधारा विधि का प्रयोग कर इलाज शुरू किया।
  • इलाज की शुरूआत में उसे सही गलत का फर्क तक नहीं पता था।
  • शिरोधारा लगातार होने से उसका आक्रोश थोडा शांत हुआ।
  • इसके बाद मानसिक व्याधि के लिए उन्माद का सहारा लिया गया।
  • उन्माद के अंतर्गत वातिक उन्माद की प्रक्रिया की गयी।
  • क्योंकि युवती को नींद न आने की भी समस्या हो गयी थी तो इसका इलाज भी बेहद जरुरी था ।
  • युवती के मानसिक तनाव को कम करने के लिए डाॅ रस्तोगी ने विरेचन का सहारा लिया ।
  • करीब दो महीने तक इन प्रकियाओं को नियमित रुप से दोहराते रहने के बाद युवती अब कुछ सामान्य हुयी है।

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  • हालांकि डाॅ. रस्तोगी के मुताबिक अभी युवती को कुछ दिन और अस्पताल में रहकर इलाज कराना होगा।
  • उसके बाद उन्हें पूरी उम्मीद है कि वो पूरी तरह से सामान्य जीवन जी सकेगी ।
  • साथ ही किताब पढ़ने की शौक़ीन ये युवती एक बार फिर अपनी आगे की पढाई पूरी कर सकेगी।

https://youtu.be/wf6_DCK1iaU

पिछले महीने अस्पताल में मनाया गया युवती का जन्मदिन

  • डाॅ रस्तोगी की टीम के मेंबर्स ने पिछले महीने युवती का 28वां जन्मदिन मनाया।
  • उन्होंने जब उसके कमरे को सजाया तो वह चुपचाप सब देखती रही।
  • लेकिन थोड़ी देर बाद बर्थडे केक सामने आने पर उसने रिएक्ट किया।
  • डाॅ स्वयंप्रभा ने उसे बताया कि ये आपका बथर्ड केक है इस पर उसने बिना किसी हंगामे के केक
  • काटा।
  • इसके बाद सबके साथ अपना बथर्ड भी मनाया।

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आगे जानें युवती ने कैसे की किताबों से दोस्ती

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किताबों से फिर कर ली दोस्ती
  • डॉ.संजीव रस्तोगी बताते हैं कि अब युवती ने एक बार फिर अपनी किताबों से दोस्ती कर ली है।
  • इस बात से जितना हमे ख़ुशी है उससे कहीं ज्यादा युवती के पिता और उनकी माँ हैं।
  • युवती के पिता ने कहा कि पहले मुझे ज्यादा उम्मीद नहीं थी मेरी बेटी ठीक होगी।
  • लेकिन, पिछले तीन महीनों के इलाज के बाद मेरी बेटी के व्यवहार में बदलाव आया है।
  • अब वो हमारी बातों को समझने लगी है यहाँ तक कि खुद ही अपनी बुक्स उठकर पढ़ने लगी है।
  • ये सब देखकर मुझे लगता है कि वो जल्दी ही अब पूरी तरह से ठीक हो जाएगी।

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