अंबेडकरनगर की कटेहरी विधानसभा सीट पर अधिकांश समय बसपा और सपा का दबदबा रहा है।

कटेहरी विधानसभा सीट के सियासी / जातीय  समीकरणों पर नजर डालें तो अब तक बीजेपी यहां से केवल एक बार ही चुनाव जीत सकी है। वहीं, इस सीट को सपा का मजबूत गढ़ माना जाता है।

अंबेडकर नगर की कटेहरी विधानसभा सीट पहले सपा नेता लालजी वर्मा के पास थी। हालांकि, लोकसभा चुनाव जीतने के बाद उन्होंने इस सीट से इस्तीफा दे दिया। उनके सांसद चुने जाने के चलते कटेहरी विधानसभा सीट खाली हो गई है और अब इस पर उपचुनाव होने वाले हैं।

कटेहरी विधानसभा सीट का जातीय समीकरण

कटेहरी विधानसभा सीट का जातीय समीकरण काफी दिलचस्प है। यहां मुख्य रूप से यादव, दलित, मुस्लिम और ब्राह्मण मतदाताओं की संख्या अधिक है।

– यादव: सपा का प्रमुख वोट बैंक माने जाते हैं और इनकी अच्छी-खासी तादाद है।
– दलित: बसपा का पारंपरिक समर्थन आधार है, जिनकी भी बड़ी संख्या है।
– मुस्लिम: सपा और बसपा दोनों के लिए महत्वपूर्ण वोट बैंक हैं।
– ब्राह्मण: बीजेपी के पक्ष में रहने वाला एक मजबूत वर्ग है।

इन जातीय समीकरणों के चलते यहां सपा और बसपा का प्रभाव मजबूत रहा है, जबकि बीजेपी को यहां पैर जमाने में मुश्किलें आई हैं।

कटेहरी विधानसभा सीट पर जातीय समीकरण बेहद विविध है और यह चुनावी गणित में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

अनुसूचित जाति (धोबी और पासी): 95,000 वोट (सबसे अधिक)
ब्राह्मण: 50,000 वोट
– कुर्मी : 45,000 वोट
– क्षत्रिय: 30,000 वोट
– निषाद: 30,000 वोट
– मुस्लिम: 40,000 वोट
– यादव: 22,000 वोट
– राजभर: 20,000 वोट
– बनिया : 15,000 वोट
– मौर्य: 10,000 वोट
– पाल: 7,000 वोट
– कुम्हार/कहार: 6,000 वोट
– अन्य: 25,000 वोट

इस जातीय समीकरण के आधार पर, अनुसूचित जाति, ब्राह्मण और कुर्मी मतदाताओं का गठजोड़ किसी भी पार्टी के लिए जीत का मार्ग प्रशस्त कर सकता है। वहीं मुस्लिम, यादव और राजभर जैसे समुदाय भी चुनावी परिणाम में अहम भूमिका निभा सकते हैं।

चुनाव परिणाम की तस्वीर बदलने में संख्या में कम लेकिन प्रभावशाली जातीय वोटरों की भूमिका को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। कटेहरी विधानसभा सीट पर ऐसे जातीय वोटरों की संख्या लगभग 48,000 के करीब है, जो कि चुनावी गणित में निर्णायक साबित हो सकते हैं। इन समुदायों के वोट भले ही संख्या में कम हों, लेकिन सही गठबंधन या रणनीति के तहत ये किसी भी पार्टी के लिए जीत का पलड़ा भारी कर सकते हैं। इन वोटरों की सही समझ और उन्हें साधने की क्षमता किसी भी पार्टी के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।

 

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