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Caste Equation UP Assembly

मिर्जापुर : मझवां विधानसभा का जातीय समीकरण 2024

1960 में अस्तित्व में आई मझवां विधानसभा सीट पर जातीय समीकरण में ब्राह्मण, दलित, और बिंद बिरादरी का विशेष प्रभाव रहा है। इन समुदायों की संख्या यहां निर्णायक भूमिका निभाती है, जिससे यह सीट सभी राजनीतिक दलों के लिए महत्वपूर्ण हो जाती है।

मझवां विधानसभा सीट उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले में स्थित है और इसका जातीय समीकरण आगामी 2024 के चुनावों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इस क्षेत्र में विभिन्न जातीय समूहों की उपस्थिति है, जो चुनावी परिणामों को प्रभावित कर सकती है।

मझवां विधानसभा का जातीय समीकरण 2024

दलित: मझवां विधानसभा में दलित समुदाय की बड़ी संख्या है, जो लगभग 60,000 के करीब है। यह समूह चुनावी परिणामों को निर्णायक बना सकता है और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के लिए एक महत्वपूर्ण वोट बैंक है।

यादव: यादव समुदाय की संख्या यहां लगभग 40,000 है, जो समाजवादी पार्टी (सपा) का पारंपरिक समर्थन करता है।

ब्राह्मण: ब्राह्मण समुदाय की संख्या लगभग 30,000 है, जो आमतौर पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के समर्थन में रहता है।

ओबीसी: ओबीसी समुदाय, जिसमें कुर्मी, नोनिया, और अन्य पिछड़ी जातियां शामिल हैं, की संख्या लगभग 50,000 है। यह समूह सपा और बीजेपी दोनों के लिए महत्वपूर्ण है।

मुस्लिम: मुस्लिम समुदाय की संख्या लगभग 25,000 है, और ये आमतौर पर सपा या कांग्रेस के पक्ष में वोट करते हैं।

ठाकुर (क्षत्रिय): ठाकुर समुदाय की संख्या लगभग 20,000 है, और यह समूह भी बीजेपी का समर्थन करता है।

वैश्य: वैश्य समुदाय की संख्या लगभग 15,000 है, और यह बीजेपी के समर्थन में रहता है।

अन्य:अन्य जातीय समूहों, जैसे कि कायस्थ, गुर्जर, जाट, त्यागी आदि की भी छोटी संख्या में उपस्थिति है, जो कुल मिलाकर लगभग 30,000 हैं।

मझवां विधानसभा का जातीय समीकरण का राजनीतिक महत्व:

मझवां विधानसभा का जातीय समीकरण जटिल है और कोई भी पार्टी इसे नजरअंदाज नहीं कर सकती। दलित, यादव, और ओबीसी वोटरों का एक बड़ा हिस्सा समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के पक्ष में जाता है, जबकि ब्राह्मण, ठाकुर, और वैश्य समुदाय बीजेपी के पक्ष में झुकते हैं। मुस्लिम वोटरों का झुकाव सपा और कांग्रेस की ओर रहता है।

इन जातीय समीकरणों को ध्यान में रखते हुए, मझवां विधानसभा में 2024 के चुनावों में कड़ी प्रतिस्पर्धा की उम्मीद है। सभी प्रमुख राजनीतिक दलों के लिए यह सीट अत्यंत महत्वपूर्ण है, और जातीय समीकरणों के आधार पर रणनीतियाँ बनाई जाएंगी।

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