बाल विवाह को लेकर बनाये गये टीवी सीरियल बालिका वधू भारतीय टेलीविजन के क्षेत्र में कई रिकार्ड बना चुका है। इस सीरियल की शुुरूआत 21 जुलाई 2008 को की गई थी तब कलर्स चैनल ने भी टीवी की दुनिया में अपना पहला कदम रखा था। इस कार्यक्रम में दिखाये गये आंनदी के किरदार को इतना पसन्‍द किया गया कि जल्‍द ही आंनदी की चर्चा हर घर में होने लगी। आंनदी की जिन्‍दगी को केंद्र बनाकर बनाये गये इस प्रोग्राम में बाल विवाह की वजह से होने वाली समस्‍याओं के बारे में खुलकर बात की गई।

इस शो को देखने के बाद लोगों ने अपने इर्दगिर्द की जिंदगी को संजीदगी से महसूस किया। 18 वर्षीय राजस्थानी लड़की लक्ष्मी सरगारा की शादी उसके मां-बाप ने तभी कर दी थी, जब वह एक साल की थी। इसके बाद जब उसके सामने मूसीबते अानी श्‍ाुरू हुई तो अकेले ही अपने अधिकारों के लिए लड़ी और शादी तुड़वाकर ही मानी। ऐसी कहानियों ने लड़कियों को अपने हक के लिए संघर्ष करने की हिम्मत दी।

आज इस शाेे की लोकप्रियता का आलम ये है कि इसे सबसे ज्यादा भाषाओं में दिखाया जा रहा है। यह शो फिलहाल राज टीवी पर मन वसनई, सूर्या टीवी/किरण टीवी पर बालिका वधू, मां टीवी पर चिन्नारी पेली कुतुरु, ईटीवी कन्नड़ पर पुट्टा गौरी मुडुवे, ईटीवी उड़िया पर बालिका वधू के नाम से दिखाया जा रहा है।

गाैैरतलब है अब इस शो को लिम्‍बा बुक ऑफ रिकार्ड में शामिल कर लिया गया है। ये शो आज भी काफी पसन्‍द बना किया जा रहा है।

  •  पहली बार 21 जुलाई 2008 को कलर्स चैनल के लॉन्च के साथ हुई शो की शुरुआत है।
  • 2010 में इस शाेे की कहानी में एक अहम मोड़ आया जब  वयस्क हो चुके आनंदी और जगिया के संबंधों को दिखाया गया।
  • जगिया से अलग हो जाने के बाद आनंदी की जिंदगी नए सिरे से आगे बढ़ी और उसने शिवराज शेखर से शादी की
  • सितंबर 2015 में शो ने 2000 एपीसोड पूरे करने का रिकॉर्ड बनाया।
  • अप्रैल 2016 में शो को फिर कई साल आगेे बढ़ा़या गया है। अब शो में आनंदी की बेटी नंदिनी अपना अतीत भुलाकर मां का डॉक्टर बनने का सपना पूरा कर रही है।
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