उत्तर प्रदेश के लखनऊ में बीते दिन महिलाओं के मुद्दों पर काम करने वाली स्वंय-सेवी संस्था ब्रेकथ्रू ने ‘बड़ी सी आशा’ के अंतर्गत ‘दास्तानगोई’ का आयोजन किया। गोमती नगर के एक होटल में आयोजित ‘दास्तानगोई’ के माध्यम से किशोर-किशोरियों के जीवन के सपनों और उनको पाने के संघर्ष को मंचित किया गया। इस अवसर पर किशोर-किशोरियों की शिक्षा और स्वास्थ्य के मुद्दे पर ब्रेकथ्रू द्वारा चलाए जा रहे ‘दे ताली:बनेगी बात साथ-साथ‘ प्रोग्राम के दो साल पूरे होने पर कार्यक्रम की उपलब्धियों पर भी चर्चा की गई।

‘दे ताली:बनेगी बात साथ-साथ’ कार्यक्रम के दो साल पूरे:

इस अवसर पर ब्रेकथ्रू की राज्य प्रमुख कृति प्रकाश ने बताया कि किशोर-किशोरी सशक्तिकरण कार्यक्रम के दो वर्ष पूरे हो गए हैं और प्रदेश के सात जिलों में शुरू हुआ यह सफर आगे भी जारी रहेगा, लेकिन आगे बढ़ने से पहले पड़ावों पर चर्चा करना जरूरी है।

इन गुज़रे हुए दो वर्षों में हमने तमाम चुनौतियों के साथ सफलता की भी कई कहानी लिखी है,ऐसी ही एक कहानी लखनऊ के गोसाईगंज की जहां किशोरियों के ग्रुप अपने गांव कूड़ामऊ का नाम बदल कर उसे सुंदर नगर बनाने की मुहिम शुरू की है।

इसी तरह ‘दे ताली: बनेगी बात साथ-साथ’ कार्यक्रम ने कई किशोरियों की जिनकी पढ़ाई छुड़वा दी गई थी, उनको अभिभावको फिर ने उनका नामांकन कराने के लिए सहमत किया।

किशोर-किशोरयों ने खुद ही इसको लेकर मुहिम चलाई। इसलिए अब वक्त आ गया है छोटी सी नही बल्कि बड़ी सी आशा के बारे में बात करने का, बड़ी सी आशा की ये कहानियां किशोर-किशोरियां खुद लिख रहे हैं।

उनको मौका और माहौल दीजिये उनकी आशाएं अपने आप बड़ी हो जाएंगी।

नन्ही की नानी का मंचन:

वहीं इस मौके पर दिल्ली की दास्तानगो फौज़िया ने इस्मत चुगताई की दास्तान नन्ही की नानी का मंचन किया। जिसको मंचित करने वाली फौज़िया भारत की पहली महिला दास्तानगो हैं।

उनके द्वारा प्रस्तुत नन्नी की नानी एक डार्क कॉमेडी से भरी दास्तान है। जिसकी मुख्य पात्र नन्ही की नानी अपने पसंदीदा तकिये के इर्द-गिर्द एक अनूठा ताना-बाना बुनती है।

फौज़िया ने इस दास्तान के माध्यम से महिला अधिकारों को ले कर समाज पर कटाक्ष किया। नन्ही की नानी इस्मत चुगताई के लेखन की सबसे आगे बढ़ने वाली दास्तानों में से एक है।

कई जिलों की संस्थाओं ने लिया हिस्सा:

कार्यक्रम में महराजगंज साथी संस्था सृष्टि सेवा संस्थान, सिद्धार्थनगर से शोहरतगढ़ इनवायरमेंटल सोसाइटी, वाराणसी से महिला स्वरोजगार समिति,जौनपुर से जन विकास संस्थान और गाज़ीपुर से ग्रामीण विकास संस्थान के प्रतिनिधियों ने और किशोरियों ने भी अपने यहां की बदलाव की कहानियां साझा की। इस अवसर पर महिला सामाख्या से स्मृति भी मौजूद रहीं।

वहीं ब्रेकथ्रू की ओर से कार्यक्रम में नयना, सुनीता, जोशी,उर्वशी, पॉलीन,अनिल,प्रियंका,अनिका,वर्षा, विनीत, महेंद्र, गौतम, मनीष, दीप, नदीम, अर्चना, सुनील, मनीष,आकाश,सलाउद्दीन,अभिषेक,चंदर भी मौजूद रहे।

ब्रेकथ्रू के बारे में:

ब्रेकथ्रू एक मानवाधिकार संस्था है जो महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ होने वाली हिंसा और भेदभाव को समाप्त करने के लिए काम करती है।

कला,मीडिया,लोकप्रिय संस्कृति और सामुदायिक भागेदारी से संस्था लोगों को एक ऐसी दुनिया बनाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं, जिसमें हर कोई सम्मान,समानता और न्याय के साथ रह सके।

ये संस्था मल्टीमीडिया अभियानों के माध्यम से मानवाधिकार से जुडें मुद्दों को मुख्य धारा में ला रहे हैं। इसे देश भर के समुदाय और व्यक्तियों के लिए प्रासंगिक बना रहे हैं।

इसके साथ ही हम युवाओं,सरकारी अधिकारियों और सामुदायिक समूहों को प्रशिक्षण भी देते हैं,जिससे एक नई ब्रेकथ्रू जेनरेशन सामने आए जो अपने आस-पास की दुनिया में बदलाव ला सके।

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