भारतीय सिनेमा में अपने शानदार अभिनय के दम पर हॉलीवुड तक का सफर कर चुकी प्रियंका चोपड़ा यूं तो इससे पहले भी कई फिल्मों में एक्शन करती हुई दिखाई दी हैं, लेकिन ऐसा पहली बार हो रहा है जब वो स्क्रीन पर खाकी वर्दी में एक्शन सीन करती हुई दिखाई दे रही हैं। हिट फिल्म “गंगाजल” के बाद प्रकाश झा “जय गंगाजल” लेकर आए हैं। खास बात यह है कि उन्होंने भी फिल्म में एक पुलिसकर्मी का किरदार निभाया है। फिल्म की कहानी बिहार के काल्पनिक शहर बांकीपुर की है। इस शहर में मंत्री के इशारे पर एक महिला एसपी आभा माथुर (प्रियंका चोपड़ा) की पोस्टिंग होती है। आभा माथुर को शहर में आते ही यह मालूम चल जाता है कि वहां की कानून व्यवस्था‍ ठीक नही है। वह आते ही यह घोषणा कर देती है कि, ‘मैं यहां टेबल कुर्सी पर बैठ कर सलामी ठोकवाने नहीं आई हूं।’ वह आगे कहती है, ‘आज समाज में उसकी इज्जत होती है, जो कानून तोड़ता है, लेकिन मैं उसकी इज्जत करती हूं जो कानून तोड़ने वाले को तोड़ता है।’

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आभा माथुर के अलावा इस फिल्म का दूसरा अहम किरदार भोलानाथ (प्रकाश झा) है। भोलानाथ समाज में बढ़ते अपराधो की परवाह ना करते हुए अपनी जिन्दगी को आनंदपूर्वक जीने में यकीन रखता है। ‘जय गंगाजल’ की कहानी आभा माथुर की ईमानदारी व निष्ठा तथा भोलेनाथ के भ्रष्ट आचरणों के असापास घूमती है। फिल्म में बबलू और डब्लू पांडे जैसे बाहुबली नेता भी हैं, जिनका दावा है कि इस बांकीपुर में दाएं-बाएं, ऊपर-नीचे सब हमारे इशारे पर होता है। चार बार से विधायक चुने जा रहे बबलू पाण्डेय को लगता है कि वे ही आजीवन विधायक चुने जाते रहेंगे। आभा माथुर उनके दंभ और भ्रम को तोड़ती है। अपनी ईमानदारी और सच्चाई के सहारे वह अपने सहायक भोलानाथ को भी नेक राह पर चलने के लिए प्रेरित करती है।

प्रकाश झा ने अपने चिरपरिचित अन्दाज में जय गंगाजल में समाज के विभिन्न मुद्दों को उठाया है। अपराध और कानून को केंद्र बनाकर पहले भी कई फिल्म बन चुकी हैं लेकिन अगर आप प्रियंका चोपड़ा के फैन हैं और प्रकाश झा की फिल्मों को पसन्द करते हैं तो यह फिल्म आपको जरूर पसन्द आायेगी।

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